प्रयागराज कुंभ 2025: नागा साधु बनने की कठिन परीक्षा आज से वहीँ जूना अखाड़ा में भर्ती शुरू!, जानें पूरी प्रक्रिया,

Dharmender Singh Malik
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प्रयागराज कुंभ 2025: नागा साधु बनने की कठिन परीक्षा आज से वहीँ जूना अखाड़ा में भर्ती शुरू!, जानें पूरी प्रक्रिया,

प्रयागराज में कुंभ मेले की तैयारियां जोरों पर हैं, और इसी बीच एक महत्वपूर्ण खबर सामने आई है। अब अखाड़ों में नागा साधु बनने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। जिन इच्छुक व्यक्तियों को नागा साधु बनना है, उनके लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। मौनी अमावस्या से पहले, सातों शैव और दोनों उदासीन अखाड़े अपने परिवार में नए नागा साधु शामिल करेंगे। इस प्रक्रिया की शुरुआत जूना अखाड़े से हो चुकी है और इसे 48 घंटे के तंगतोड़ क्रिया के साथ पूरा किया जाएगा।

नागा साधु बनने के लिए कठिन परीक्षा

जूना अखाड़े में नागा साधु बनने के लिए इच्छुक उम्मीदवारों को 108 बार गंगा में डुबकी लगाकर परीक्षा देनी होगी। यह एक कठिन शारीरिक और मानसिक परीक्षा है। यह प्रक्रिया मौनी अमावस्या से पहले पूरी हो जाएगी। अखाड़ों में 1800 से ज्यादा साधुओं को नागा बनाया जाएगा, जिसमें जूना अखाड़ा प्रमुख है। इसके अलावा, महानिर्वाणी, निरंजनी, अटल, अग्नि, आह्वान और उदासीन अखाड़ों में भी नागा साधुओं का नामांकन किया जाएगा।

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नागा दीक्षा की शुरुआत 

प्रयागराज में इस समय नागा दीक्षा की प्रक्रिया चल रही है। जूना अखाड़े के महंत रमेश गिरि के मुताबिक, 17 जनवरी से धर्म ध्वजा के नीचे तपस्या और संस्कार की शुरुआत होगी। साधुओं को 24 घंटे तक बिना खाना और पानी के तपस्या करनी होगी। इसके बाद, उन्हें गंगा तट पर ले जाकर 108 डुबकी लगाने के बाद क्षौर कर्म (बाल काटने की प्रक्रिया) और विजय हवन किया जाएगा।

नागा बनने के बाद क्या होगा?

दीक्षा की प्रक्रिया के बाद, साधुओं को संन्यास की दीक्षा अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर देंगे। इसके बाद हवन किया जाएगा और फिर 19 जनवरी को साधुओं को लंगोट खोलकर नागा रूप में दीक्षित कर दिया जाएगा। हालांकि, उन्हें वस्त्र पहनने का विकल्प भी दिया जाएगा, और वे नागा रूप में अमृत स्नान करेंगे। महंत रमेश गिरि ने बताया कि इस महाकुंभ में सभी अखाड़ों द्वारा 1800 से अधिक साधुओं को नागा बनाया जाएगा, जिनमें सबसे अधिक संख्या जूना अखाड़े से होगी।

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कुंभ मेला और नागा साधु की महत्वता

प्रयागराज कुंभ मेला, जिसे दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन के रूप में जाना जाता है, में नागा साधुओं का विशेष महत्व है। नागा साधु अपनी तपस्या, साधना और त्याग के लिए प्रसिद्ध होते हैं और वे धार्मिक आस्था और विश्वास का प्रतीक माने जाते हैं। इस बार के कुंभ मेले में नागा साधुओं का योगदान और भी बढ़ जाएगा, और यह पूरी प्रक्रिया बहुत ही कड़ी और अनुशासनपूर्ण होती है।

 

 

 

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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