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नेशनल हाईवे पर खुले आसमान में गर्भवती महिला ने दिया शिशु को जन्म, स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही पर उठे सवाल

Shamim Siddique
3 Min Read

आगरा (फतेहपुर सीकरी) : सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की लापरवाही का एक शर्मनाक उदाहरण सामने आया है, जहां एक गर्भवती महिला ने नेशनल हाईवे के किनारे खुले आसमान में शिशु को जन्म दिया। यह घटना शुक्रवार सुबह 4:30 बजे की है, जब ताजुद्दीन अपने गर्भवती पत्नी रुखसाना को उपचार के लिए अस्पताल लेकर पहुंचा, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही ने उनकी मदद करने के बजाय एक दर्दनाक घटना का कारण बन दिया।

महिला को लेकर ताजुद्दीन और उनके परिवारवाले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे, जहां एएनएम ने देखते ही महिला की गंभीर स्थिति का आकलन करते हुए उसे आगरा या भरतपुर जाने की सलाह दी। एएनएम ने कहा कि महिला का खून 5% है और उसे तत्काल उपचार की आवश्यकता है। इसके बाद, पीड़िता के परिवार ने एंबुलेंस की सुविधा के लिए संपर्क किया, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने उनकी मांग को पूरी तरह से नकार दिया।

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अस्पताल से बिना किसी सहायता के और एंबुलेंस के इंतजार में, परिवार ने तुरंत महिला को गांव के एक उपकेंद्र में ले जाने का निर्णय लिया। रास्ते में दर्द और पीड़ा से कराहती रुखसाना ने खुले आसमान के नीचे नेशनल हाईवे पर शिशु को जन्म दिया।

महिला के साथ आई अन्य महिलाओं ने उसकी मदद की और उसे शर्मिंदगी से बचाने के लिए पर्दा किया। इसके बाद, उप स्वास्थ्य केंद्र की एएनएम मंजू रानी को लाया गया, जिन्होंने आशा कार्यकर्ता की मदद से महिला को उपचार प्रदान किया।

इस घटना ने स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्थाओं पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। सरकार द्वारा महिलाओं को दी जा रही एंबुलेंस और स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति पर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि विभाग की लापरवाही के कारण एक गर्भवती महिला को अपनी जान जोखिम में डालनी पड़ी।

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स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्था पर सवाल

यह घटना उस समय घटी, जब सरकार महिलाओं के स्वास्थ्य और सुरक्षित प्रसव के लिए कई योजनाएं चला रही है। लेकिन यह घटना यह दर्शाती है कि सरकारी व्यवस्था के सही तरीके से लागू होने में गंभीर खामियां हैं। सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी और लापरवाही के कारण गरीब और ग्रामीण इलाकों में रहने वाली महिलाएं अक्सर जीवन और मृत्यु की स्थिति में होती हैं।

हालांकि, उपचार के बाद जच्चा-बच्चा दोनों ही स्वस्थ हैं और अपने घर लौटे, लेकिन इस घटना ने सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के दावों की पोल खोल दी है। पीड़िता ने कहा, “हमारी गरीबी देखकर हमें सरकारी सुविधाओं और उपचार से वंचित कर दिया गया।”

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