SP-Congress Alliance: प्रियंका ने बना दी जोड़ी, अखिलेश के इन दो विकल्पों के आगे ढेर हो रही थी कांग्रेस की रणनीति
कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच गठबंधन तय हो गया है। प्रियंका गांधी ने अखिलेश यादव से सीधी बातचीत कर पूरा मामला पलट दिया। उन्होंने समाजवादी पार्टी नेता को न केवल कांग्रेस को उन सीटों को देने के लिए मना लिया, जिन्हें समाजवादी पार्टी देने के लिए तैयार नहीं थी, बल्कि पूर्व से पश्चिम तक प्रदेश में कांग्रेस के मजबूत होने की नींव भी रख दी।
कांग्रेस नेताओं की चिंता यह थी कि यदि पार्टी सपा की दी हुई कम प्रभाव वाली सीटों पर लड़ेगी, तो इससे न केवल उसका इस चुनाव में नुकसान होगा, बल्कि पार्टी हमेशा के लिए यूपी में कमजोर हो जाएगी।
राहुल गांधी का मानना था कि 15-20 सीटों पर लड़कर कांग्रेस चार-पांच सीटें जीत भी लेती है, तो इससे पार्टी का भविष्य उज्जवल नहीं होगा।
प्रियंका गांधी ने अखिलेश यादव को बताया कि यदि वे साथ नहीं लड़ते हैं, तो इससे केवल इस चुनाव में ही हार नहीं होगी, बल्कि विपक्ष की आगे की चुनावी राजनीति भी प्रभावित हो सकती है।
अखिलेश यादव ने कांग्रेस के सामने दो विकल्प छोड़े थे:
- पहला: कमजोर सीटों पर लड़ें और हार जाएं।
- दूसरा: गठबंधन से बाहर हो जाएं।
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि यदि वे कमजोर सीटों पर लड़ते हैं, तो पार्टी हमेशा के लिए यूपी में कमजोर हो सकती है।
यदि वे गठबंधन से बाहर होते हैं, तो उन्हें ज्यादा सीटों पर सफलता नहीं मिल सकती है, लेकिन इसका एक लाभ यह हो सकता है कि कांग्रेस बाकी सीटों पर चुनाव लड़ती और हर सीट पर उसका प्रचार होता।
प्रियंका गांधी ने यात्रा का रूट बदलकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश कर दिया।
इसका दो बड़ा कारण था:
- पहला: कांग्रेस अखिलेश यादव को यह संदेश देना चाहती थी कि वह उनके दबाव में एक सीमा से आगे नहीं जाएगी।
- दूसरा: पूरे देश में इस समय मुसलमान मतदाता कांग्रेस के पक्ष में एकजुट दिखाई पड़ रहे हैं।
राहुल गांधी की यात्रा बिहार से पश्चिम बंगाल तक हर उस एरिया से गुजरी है, जहां मुसलमानों की आबादी बहुत ज्यादा है।
पश्चिम उत्तर प्रदेश ही है जहां कांग्रेस को यूपी में सबसे ज्यादा संभावनाएं बन सकती हैं।