जैथरा (एटा) – नगर पंचायत जैथरा में रविवार शाम 5 बजे एक विवादास्पद घटना हुई, जहां एक गरीब परिवार की रोजी-रोटी का साधन बनी गुमटी / खोखा को हटाने के लिए नगर पंचायत प्रशासन ने सख्त कदम उठाया। इस कार्रवाई का नेतृत्व अधिशासी अधिकारी (ईओ) कृष्ण प्रताप सरल ने किया, जो कथित तौर पर शराब के नशे में थे।
कई सालों से रखी थी गुमटी
पीड़ित परिवार के अलोक का कहना है कि यहां पर कई वर्षों से उनकी गुमटी थी, जिससे उनकी आजीविका चल रही थी। लेकिन अचानक नगर पंचायत प्रशासन ने अचानक इसे हटाने का आदेश दिया। नगर पंचायत ने कोई नोटिस नहीं तामील कराया। ईओ ने पक्षपात पूर्ण तरीके से एक तरफा मुझे टारगेट करके कार्यवाही की गई है। जिससे मैं और मेरा परिवार सड़क पर आ गया है। अधिशासी अधिकारी नगर पंचायत ने सफाई देते हुए कहा कि यह कार्रवाई मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की शिकायती पोर्टल आधार पर की जा रही है।
नोटिस के बाद भी नहीं हटाया खोखा
नगर पंचायत प्रशासन का दावा है कि पीड़ित परिवार को पहले ही नोटिस जारी किया गया था। इसके बावजूद गुमटी नहीं हटाई गई, जिसके बाद प्रशासन ने ट्रैक्टर-ट्रॉली मंगवाकर गुमटी को हटा दिया।
ईओ पर शराब के नशे में कार्यवाही का आरोप
स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि ईओ शराब के नशे में कार्यवाही करने पहुंचे थे। लोगों का कहना है कि प्रशासन का यह रवैया तानाशाही जैसा है, जो गरीबों की रोजी-रोटी पर सीधा हमला करता है।
नगरवासियों में गुस्सा
इस घटना से नगरवासियों में आक्रोश है। लोगों ने सवाल उठाया है कि जब गुमटी कई सालों से वहां थी, तो अब इसे हटाने की अचानक जरूरत क्यों पड़ी? उन्होंने ईओ के व्यवहार और कार्यशैली पर सवाल उठाए और मांग की है कि गरीबों के साथ न्याय हो।
प्रशासन से निष्पक्ष जांच की मांग
पीड़ित परिवार ने मुख्यमंत्री और उच्च अधिकारियों से अपील की है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच की जाए और दोषी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
नगर पंचायत का दोहरा चरित्र
नगरवासियों का कहना है कि नगर पंचायत का रवैया दोहरा है। कुछ रसूखदार लोगों की गुमटियां, जिन्हें पहले नोटिस दिया गया था, आज भी जस की तस बनी हुई हैं। प्रशासन ने उन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। वहीं, व्यक्ति विशेष पर अचानक शक्ति प्रदर्शन करना यह संकेत देता है कि नगर पंचायत रसूखदारों को बचाने और कमजोरों को निशाना बनाने का काम कर रही है।
क्या यह कार्रवाई सिर्फ दिखावे के लिए थी या इसके पीछे कोई राजनीतिक दबाव है? यह सोचने का विषय है। अब नगरवासियों की निगाहें प्रशासन और उच्च अधिकारियों पर टिकी हैं, ताकि सभी के साथ समान व्यवहार हो सके।
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जैथरा (एटा) – नगर पंचायत जैथरा में रविवार शाम 5 बजे एक विवादास्पद घटना हुई, जहां एक गरीब परिवार की रोजी-रोटी का साधन बनी गुमटी / खोखा को हटाने के लिए नगर पंचायत प्रशासन ने सख्त कदम उठाया। इस कार्रवाई का नेतृत्व अधिशासी अधिकारी (ईओ) कृष्ण प्रताप सरल ने किया, जो कथित तौर पर शराब के नशे में थे। कई सालों से रखी थी गुमटीपीड़ित परिवार के अलोक का कहना है कि यहां पर कई वर्षों से उनकी गुमटी थी, जिससे उनकी आजीविका चल रही थी। लेकिन अचानक नगर पंचायत प्रशासन ने अचानक इसे हटाने का आदेश दिया। नगर पंचायत ने कोई नोटिस नहीं तामील कराया। ईओ ने पक्षपात पूर्ण तरीके से एक तरफा मुझे टारगेट करके कार्यवाही की गई है। जिससे मैं और मेरा परिवार सड़क पर आ गया है। अधिशासी अधिकारी नगर पंचायत ने सफाई देते हुए कहा कि यह कार्रवाई मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की शिकायती पोर्टल आधार पर की जा रही है।नोटिस के बाद भी नहीं हटाया खोखानगर पंचायत प्रशासन का दावा है कि पीड़ित परिवार को पहले ही नोटिस जारी किया गया था। इसके बावजूद गुमटी नहीं हटाई गई, जिसके बाद प्रशासन ने ट्रैक्टर-ट्रॉली मंगवाकर गुमटी को हटा दिया।ईओ पर शराब के नशे में कार्यवाही का आरोपस्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि ईओ शराब के नशे में कार्यवाही करने पहुंचे थे। लोगों का कहना है कि प्रशासन का यह रवैया तानाशाही जैसा है, जो गरीबों की रोजी-रोटी पर सीधा हमला करता है।नगरवासियों में गुस्साइस घटना से नगरवासियों में आक्रोश है। लोगों ने सवाल उठाया है कि जब गुमटी कई सालों से वहां थी, तो अब इसे हटाने की अचानक जरूरत क्यों पड़ी? उन्होंने ईओ के व्यवहार और कार्यशैली पर सवाल उठाए और मांग की है कि गरीबों के साथ न्याय हो।प्रशासन से निष्पक्ष जांच की मांगपीड़ित परिवार ने मुख्यमंत्री और उच्च अधिकारियों से अपील की है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच की जाए और दोषी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जाए।नगर पंचायत का दोहरा चरित्रनगरवासियों का कहना है कि नगर पंचायत का रवैया दोहरा है। कुछ रसूखदार लोगों की गुमटियां, जिन्हें पहले नोटिस दिया गया था, आज भी जस की तस बनी हुई हैं। प्रशासन ने उन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। वहीं, व्यक्ति विशेष पर अचानक शक्ति प्रदर्शन करना यह संकेत देता है कि नगर पंचायत रसूखदारों को बचाने और कमजोरों को निशाना बनाने का काम कर रही है।क्या यह कार्रवाई सिर्फ दिखावे के लिए थी या इसके पीछे कोई राजनीतिक दबाव है? यह सोचने का विषय है। अब नगरवासियों की निगाहें प्रशासन और उच्च अधिकारियों पर टिकी हैं, ताकि सभी के साथ समान व्यवहार हो सके।