जिलाधिकारी आगरा से हुई शिकायत पर जांच टीम में शामिल अधिशासी अभियंता और परियोजना निदेशक
आगरा। जनपद के अछनेरा ब्लॉक की ग्राम पंचायत मई में 11 सदस्यों ने शपथ पत्र के साथ जिलाधिकारी को शिकायत पत्र सौंपकर लाखों रुपये के विकास कार्यों में धांधली के आरोप लगाए थे। जिलाधिकारी ने संज्ञान लेते हुए दो सदस्यीय जांच टीम गठित की, जिसमें परियोजना निदेशक रेनू कुमारी और अधिशासी अभियंता यशवीर सिंह को नामित कर 18 फरवरी, मंगलवार को ग्राम पंचायत में मौके पर जाकर जांच करने के आदेश दिए थे। लेकिन परियोजना निदेशक शिकायतकर्ताओं और आरोपी पक्ष को बिना सुने ही बैरंग लौट गईं, जिससे यह मामला चर्चा का विषय बन गया।
बताया जाता है कि कुछ माह पूर्व ग्राम पंचायत के 11 निवासियों ने शपथ पत्र के साथ जिलाधिकारी कार्यालय में उपस्थित होकर सरकारी धन के दुरुपयोग और विकास कार्यों में धांधली की शिकायत की थी। आरोप लगाया गया था कि सचिव और प्रधान ने एक ही कुएं को दो अलग-अलग नामों से दिखाकर राशि निकाल ली।
धांधली के आरोप:
2023-24 में “लक्ष्मी नारायण मंदिर के पास कुआं” के नाम पर ₹96,768 निकाले गए, जबकि 15 माह बाद उसी कुएं को “भगत वाले कुएं” के नाम से दिखाकर ₹92,800 की निकासी हुई।गोवर्धन पूजा स्थल के नाम पर लाखों रुपये की धांधली।पुरानी नाली की मरम्मत को नया निर्माण दिखाकर सरकारी धन की बंदरबांट।ग्राम पंचायत में बिना कार्य कराए “पेवर कार्य” के नाम पर 29 अगस्त 2024 को ₹1,70,000 का भुगतान।
बिना सुनवाई लौट गई जांच टीम
निर्धारित तिथि पर टीम गांव पहुंची और ग्राम सचिवालय में दोनों पक्षों को बुलाया गया। पहले शिकायतकर्ताओं से शिकायत के बारे में पूछा गया, लेकिन आरोपी पक्ष भड़क गया और हल्की कहासुनी होने लगी। विवाद की स्थिति बनते ही परियोजना निदेशक बिना किसी निष्कर्ष के वापस लौट गईं।
सवाल उठ रहे हैं:
1. यदि विवाद की आशंका थी, तो पुलिस को सूचना क्यों नहीं दी गई?
2. क्या जांच की दिशा भटकाने की कोशिश की जा रही है?
3. यदि प्रधान और सचिव निर्दोष थे, तो मौके पर मौजूद फाइलों के आधार पर कार्यों का सत्यापन क्यों नहीं किया गया?
4. क्या यह प्रकरण को दबाने का प्रयास है?
इनका कहना है:
रेनू कुमारी, परियोजना निदेशक, आगरा ने बताया कि,
“शिकायत की जांच के लिए टीम मौके पर पहुंची थी, लेकिन दोनों पक्षों में विवाद की आशंका थी, इसलिए वापस लौटना पड़ा। जल्द ही पुलिस व्यवस्था के साथ पुनः जांच की जाएगी।”अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले को कितनी गंभीरता से लेता है और क्या निष्पक्ष जांच सुनिश्चित होती है या नहीं।