आगरा: उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा विद्युत विभाग के निजीकरण को लेकर राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर संगठन शाखा आगरा और विद्युत तकनीकी कर्मचारी एकता संघ ने आज मुख्य अभियंता कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान विद्युत कर्मचारियों और यूनियन प्रतिनिधियों ने अपनी चिंताओं और विरोध को व्यक्त किया।
निजीकरण से होने वाली समस्याओं पर चिंता जताई
विरोध प्रदर्शन के दौरान विद्युत कर्मचारी एकता संघ के सदस्य समीर खान ने कहा कि निजीकरण के कारण किसानों को मिलने वाले लाभ समाप्त हो जाएंगे, जबकि विद्युत दरों में अत्यधिक वृद्धि हो सकती है। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि यह कदम केवल निजी कंपनियों के फायदे के लिए उठाया जा रहा है, जबकि इससे आम जनता और किसानों को नुकसान होगा।
वहीं, श्री रॉकी आलम ने भी अपनी बातें रखी। उन्होंने कहा, “अगर उच्च प्रबंधन के स्तर पर विद्युत विभाग का काम नहीं हो रहा है, तो इसका समाधान हमें सौंपा जाए। हम दिखा सकते हैं कि विभाग कैसे बेहतर काम कर सकता है। हमें बली का बकरा बनाने के बजाय, विभाग को बेचना ठीक नहीं है।”
प्रदर्शन में भाग लेने वाले प्रमुख सदस्य
विरोध प्रदर्शन में कई प्रमुख सदस्य शामिल हुए, जिनमें दक्षिणांचल विद्युत वितरण लिमिटेड के अंचल सचिव श्री धर्मेंद्र कुमार राजपूत, आगरा क्षेत्र के जून सचिव श्री स्वप्नेंद्र कुशवाहा, जनपद अध्यक्ष नितेश कुमार, जनपद सचिव श्री विनय वर्मा, ट्रांसको के ट्रांसमिशन जॉन अध्यक्ष श्री महेश कुमार, एवं अन्य वरिष्ठ सदस्य उपस्थित थे। इस मौके पर लगभग 120 कर्मचारी और सदस्य प्रदर्शन में शामिल हुए और निजीकरण के खिलाफ अपनी आवाज उठाई।
विरोध का उद्देश्य
सभी प्रदर्शनकारियों ने विद्युत विभाग के निजीकरण के विरोध में अपना एकजुट रुख स्पष्ट किया और सरकार से मांग की कि यह कदम वापस लिया जाए। प्रदर्शनकारियों का मानना है कि विद्युत विभाग का निजीकरण न केवल कर्मचारियों के लिए हानिकारक है, बल्कि इससे आम जनता पर भी प्रतिकूल असर पड़ेगा।
निजीकरण का विरोध, कर्मचारियों की आवाज़
यह विरोध प्रदर्शन उत्तर प्रदेश के विद्युत विभाग में हो रहे बदलावों को लेकर कर्मचारियों के बीच बढ़ती चिंताओं और असंतोष का प्रतीक है। कर्मचारियों का कहना है कि अगर निजीकरण लागू होता है, तो विभाग की कार्यक्षमता में गिरावट आ सकती है और जनता को उचित सेवा मिलना मुश्किल हो सकता है।