लोक दायित्व सामाजिक संगठन की ‘रघु भूमि से तपोभूमि’ यात्रा: श्रीराम के पवित्र स्थलों का भ्रमण, ताड़का वध से लेकर रामेश्वरनाथ मंदिर तक

Dharmender Singh Malik
4 Min Read
लोक दायित्व सामाजिक संगठन की 'रघु भूमि से तपोभूमि' यात्रा: श्रीराम के पवित्र स्थलों का भ्रमण, ताड़का वध से लेकर रामेश्वरनाथ मंदिर तक

लोक दायित्व सामाजिक संगठन की “रघु भूमि से तपोभूमि की यात्रा” के तीसरे दिन की शुरुआत कारों धाम से हुई। प्रातः 8:00 बजे भगवान शिव, श्रीराम, लक्ष्मण और विश्वामित्र जी के पूजन के साथ यात्रा का शुभारंभ किया गया।

ऐतिहासिक पड़ाव और लोक मान्यताएं

सुबाहु टीला

यात्रा सुबाहु टीला (चितबड़ागांव के पास सुजायत) पहुंची। स्थानीय लोग आज भी इस टीले को हाथ नहीं लगाते, क्योंकि कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि यहीं पर राक्षस सुबाहु का निवास था। क्षेत्र में एक कहावत प्रसिद्ध है: “भोर भरौली भा उजियारा, बक्सर जाय ताड़का मारा।” इसका अर्थ है कि जब प्रभु श्रीराम कारों धाम से प्रातःकाल निकले तो भरौली में भोर हुई और उजियारघाट पर उजाला हुआ।

See also  सूर्य नमस्कार पर 'धार्मिक' बवाल: मौलाना को एतराज, मंत्री बोले 'छुद्र मानसिकता'

गंगा पूजन और ताड़का वध का स्थल

कारों धाम शिव

 

आधा जला आम का वृक्ष

उजियार घाट पर श्रीराम, लक्ष्मण और ब्रह्मर्षि विश्वामित्र ने मां गंगा का पूजन किया। यहीं पर ब्रह्मर्षि विश्वामित्र ने राम और लक्ष्मण को गंगा अवतरण और भगीरथ तपस्या की कथा सुनाई। उजियार घाट से गंगा पार कर टीम चरित्र वन (वर्तमान में बक्सर – बिहार) पहुंची, जिसे ताड़का वन भी कहा जाता है। यहीं पर प्रभु श्रीराम ने अपने जीवन का प्रथम युद्ध करते हुए ताड़का का वध किया था, जिसने डेढ़ योजन का मार्ग घेर रखा था। यहीं से उनके वीर चरित्र का उद्भव माना जाता है।

आत्मग्लानि और रामेश्वरनाथ मंदिर की स्थापना

ताड़का वध के बाद प्रभु श्रीराम ने यहीं गंगा जी में स्नान किया, जिसे आज राम रेखा घाट के नाम से जाना जाता है। ताड़का वध के कारण भगवान राम के मन में आत्मग्लानि हुई, क्योंकि सूर्यवंशी किसी भी राजा ने इससे पूर्व किसी महिला पर हाथ नहीं उठाया था। इस आत्मग्लानि से मुक्त होने के लिए प्रभु श्रीराम ने विश्वामित्र के आश्रम के सामने ही शिवलिंग की स्थापना कर पूजन अर्चन किया, जो आज रामेश्वरनाथ के नाम से प्रसिद्ध मंदिर है। यहां सिंहासनारूढ़ होने के पश्चात् भी श्रीराम ने पुनः आकर यज्ञ किया था। रामेश्वरनाथ के ठीक सामने ब्रह्मर्षि विश्वामित्र का आश्रम सिद्धाश्रम स्थित है। यह पूरा क्षेत्र ही तपोवन के नाम से जाना जाता है। वर्तमान समय में आस-पास आबादी अधिक बस जाने के कारण उसे चिन्हित कर पाना थोड़ा कठिन है।

See also  डायट आगरा पर विज्ञान किट एवं गतिविधि आधारित प्रशिक्षण का हुआ शानदार समापन

यात्रा का समापन और आभार व्यक्त

इन पवित्र स्थानों का भ्रमण और दर्शन करने के बाद लोक दायित्व की टीम बसांव मठ पहुंची, जहां कढ़ी-चावल के प्रसाद के साथ यात्रा का समापन हुआ। ऐसी मान्यता है कि यहीं पर राम और लक्ष्मण जी ने कढ़ी खाई थी।

इस यात्रा में विभिन्न जगहों पर स्थानीय लोगों द्वारा राम, लक्ष्मण, विश्वामित्र की शोभा यात्रा की आरती, भजन-कीर्तन के साथ सभी भक्तों को अंगवस्त्र देकर स्वागत किया गया। संगठन के पदाधिकारी, राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. दुर्गा प्रसाद अस्थाना, संयोजक पवन कुमार, और प्रदेश कार्यकारिणी समिति सदस्य अरविंद कुमार सिंह ने इस “रघु भूमि से तपोभूमि की यात्रा” में पड़ने वाले स्थानों के सभी जनमानस और पुलिस विभाग का धन्यवाद दिया, जिन्होंने यात्रा में अपना सहयोग व सुरक्षा प्रदान की। उन सभी के प्रति हृदय से आभार व्यक्त किया गया।

See also  Mathura News: घरवाले सोते रहे और चोर स्कार्पियो लेकर फरार, चालक ने दर्ज कराई शिकायत

 

See also  फतेहपुर सीकरी: जमीन विवाद के चलते दो बार फायरिंग करने वाले आरोपियों को पुलिस ने किया गिरफ्तार
Share This Article
Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement