जैथरा में मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल के नाम पर मरीजों से खिलवाड़, सीएमओ की चुप्पी पर सवाल

Pradeep Yadav
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एटा – एटा जिले के कस्बा जैथरा में एक तथाकथित मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल में मरीजों के साथ बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी की जा रही है। अस्पताल संचालक पर आरोप हैं कि वह मरीजों को अत्याधुनिक सुविधाओं का झांसा देकर मोटी रकम वसूलता है, लेकिन इलाज में कोई लापरवाही नहीं छोड़ता। अस्पताल में न तो विशेषज्ञ डॉक्टर हैं और न ही वह चिकित्सा सुविधाएं हैं, जिनका दावा अस्पताल द्वारा किया जाता है।

जांच की मांग और गंभीर आरोप

स्थानीय निवासियों और मरीजों का कहना है कि उन्होंने इस अस्पताल में इलाज के लिए भारी रकम चुकाई, लेकिन इलाज के दौरान उनकी उम्मीदें पूरी नहीं हो पाई। अस्पताल संचालक ने अस्पताल को मल्टी स्पेशलिटी केंद्र के रूप में प्रचारित किया था, लेकिन असलियत कुछ और ही सामने आई। मरीजों और उनके परिजनों का कहना है कि इस अस्पताल में ना तो उचित डॉक्टर हैं और न ही बुनियादी सुविधाएं।

सीएमओ की चुप्पी पर सवाल

चौंकाने वाली बात यह है कि इतने गंभीर आरोपों के बावजूद, मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) एटा ने अब तक इस अपंजीकृत अस्पताल के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। नागरिकों का आरोप है कि सीएमओ इस मामले में या तो अनजान बने हुए हैं, या फिर जानबूझकर आंखें मूंदे हुए हैं। इस मामले ने स्वास्थ्य विभाग की निगरानी व्यवस्था पर भी सवाल उठाए हैं।

मरीजों के परिजनों की शिकायत

एक मरीज के परिजन ने बताया, “हमने सोचा था कि मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल में अच्छे डॉक्टर और बेहतरीन सुविधाएं मिलेंगी, लेकिन हमें सिर्फ धोखा मिला। यह अस्पताल मरीजों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहा है।” ऐसे आरोपों के बावजूद प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने अब तक कोई सख्त कदम नहीं उठाया है।

अस्पताल संचालन की अनुमति पर सवाल

यह मामला न केवल अस्पताल की कार्यप्रणाली को लेकर सवाल खड़ा करता है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने इस तरह के अस्पतालों को संचालन की अनुमति क्यों दी। जब अस्पताल की स्थिति इतनी गंभीर हो सकती है, तो मरीजों और उनके परिजनों को पहले से सतर्क क्यों नहीं किया गया?

उच्च स्तरीय जांच और सख्त कार्रवाई की मांग

स्थानीय लोगों और मरीजों के परिजनों ने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। साथ ही, उन्होंने सीएमओ से जवाबदेही तय करने की अपील की है ताकि इस मामले में दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सके। सवाल यह उठता है कि क्या प्रशासन इस पर सख्त कदम उठाएगा या फिर ऐसे अस्पतालों का धोखाधड़ी का सिलसिला जारी रहेगा।

 

 

 

 

 

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