सिंचाई विभाग की उदासीनता पर सवाल: रेहावली बांध परियोजना का IIT रुड़की से अध्ययन कराने की मांग

Dharmender Singh Malik
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आगरा। सिविल सोसायटी ऑफ आगरा ने फतेहबाद तहसील के रेहावली गांव और बाह तहसील के रीठे गांव के बीच रेहावली बांध परियोजना का अध्ययन आईआईटी रुड़की या किसी अन्य विशेषज्ञ एजेंसी से कराने की मांग की है। सोसायटी का आरोप है कि सिंचाई विभाग इस महत्वपूर्ण परियोजना के प्रति उदासीन रवैया अपना रहा है।

क्या है पूरा मामला?

सिविल सोसायटी ऑफ आगरा ने जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ. मंजू भदौरिया के माध्यम से पिछले चार साल से इस मुद्दे को उठाया है, लेकिन आगरा कैनाल के अधिशासी अभियंता (लोअर खंड) ने कोई गंभीरता नहीं दिखाई है।

डॉ. मंजू भदौरिया ने इस पर कहा कि वे सिंचाई बंधु की अध्यक्ष हैं और जल संचय सरकार का लक्ष्य है। उन्होंने आश्वासन दिया कि अधिकारियों से फीडबैक मिलने के बाद वह उचित कदम उठाएंगी। उनका मानना है कि यह बांध भूजल स्तर को सुधारने और यमुना नदी में पानी की कमी को पूरा करने में सहायक होगा।

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सिंचाई विभाग के तर्क पर सवाल

सिविल सोसायटी के प्रतिनिधियों का कहना है कि जब भी उन्होंने अधिशासी अभियंता से संपर्क किया, तो उन्हें टालने वाले जवाब मिले।

अभियंता ने कभी इसे ‘लघु सिंचाई विभाग’ का काम बताया, तो कभी सीधे कह दिया कि ‘यहां डैम नहीं बनेगा’।

उन्होंने ड्रोन मैपिंग में नदी में भरपूर पानी दिखने के बावजूद कोई रुचि नहीं दिखाई।

उनका तर्क है कि जब तक सिंचाई के लिए नहर नहीं बनेगी, तब तक डैम नहीं बनेगा, जबकि सिविल सोसायटी ने गोकुल बैराज और अन्य बैराजों का उदाहरण देते हुए इस तर्क को गलत बताया।

उटंगन नदी: आगरा की तीसरी सबसे बड़ी नदी

उटंगन नदी राजस्थान के करौली से निकलकर आगरा में प्रवेश करती है और लगभग 80 किलोमीटर का सफर तय करके यमुना में मिल जाती है। यह यमुना और चंबल के बाद आगरा की तीसरी सबसे बड़ी नदी है। मानसून के समय इसमें भारी मात्रा में पानी होता है, जो बहकर यमुना में चला जाता है।

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सिविल सोसायटी का अनुमान है कि लगभग 6 अरब घन मीटर पानी हर साल बर्बाद हो जाता है। अगर यह पानी बांध बनाकर रोक लिया जाए, तो इसका उपयोग भूजल स्तर को बढ़ाने, पीने के पानी की समस्या को हल करने और बटेश्वर जैसे धार्मिक स्थलों पर यमुना में पानी छोड़ने के लिए किया जा सकता है।

सिविल सोसायटी की मांग

सिविल सोसायटी ऑफ आगरा के सचिव अनिल शर्मा ने कहा कि सिंचाई विभाग के अभियंता के पास उटंगन नदी से जुड़े सही आंकड़े तक नहीं हैं, जो सरकार की नीति के खिलाफ है। उन्होंने डॉ. मंजू भदौरिया से अनुरोध किया है कि वे अधिशासी अभियंता से सभी आंकड़े तलब करें और आईआईटी रुड़की से इस परियोजना का अध्ययन कराने के लिए प्रयास करें।

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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