योगी सरकार के राज में भाजपा नेताओं के दबदबे के चलते पर्यावरण संरक्षण पर उठे सवाल

Jagannath Prasad
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कॉलोनी बसाने के लिए काटे गए पेड़, बाईं ओर लगा भाजपा नेता का बोर्ड

टीटीजेड क्षेत्र में पेड़ों की कटाई का मामला: भाजपा नेता को मिली छूट का जिम्मेदार कौन?

आगरा (किरावली)। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत संरक्षित टीटीजेड (ताज ट्रेपेजियम जोन) क्षेत्र में पेड़ों की अवैध कटाई ने न केवल वन विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि योगी सरकार के पर्यावरण संरक्षण के दावों की भी पोल खोल दी है। किरावली तहसील के अछनेरा-किरावली मार्ग पर स्थित एक अनाधिकृत कॉलोनी में दो दर्जन से अधिक पेड़ों को काटकर साफ कर दिया गया। इस कॉलोनी को कथित तौर पर भाजपा नेता गंगाधर कुशवाहा द्वारा विकसित किया जा रहा था।

वन विभाग की मिलीभगत का मामला
स्थानीय वन विभाग के कर्मचारियों पर आरोप है कि उन्होंने इस अवैध कटाई की अनदेखी की। मामले के उजागर होने के बाद आनन-फानन में बचे हुए पेड़ों पर नंबर डाल दिए गए, जिससे विभागीय अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध हो गई। इतना ही नहीं, कॉलोनी में नगर पालिका द्वारा किए गए वृक्षारोपण को भी गायब करवा दिया गया। सवाल यह उठता है कि सुप्रीम कोर्ट के कड़े निर्देशों के बावजूद इस तरह के कार्य योगी सरकार की नाक तले कैसे हो रहे हैं?

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सत्ता और प्रभाव का दुरुपयोग
गंगाधर कुशवाहा पर आरोप है कि वे भाजपा के प्रभाव का इस्तेमाल कर लंबे समय से अनाधिकृत कॉलोनियों का नेटवर्क संचालित कर रहे हैं। स्थानीय प्रशासन और वन विभाग के अधिकारी उनके दबाव में कार्रवाई करने से कतराते नजर आ रहे हैं। इससे न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है, बल्कि सरकारी राजस्व का भी बड़ा नुकसान हो रहा है।

योगी सरकार के पर्यावरण संरक्षण पर सवाल
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद टीटीजेड क्षेत्र में पेड़ों की कटाई एक गंभीर मामला है। यह दर्शाता है कि योगी सरकार के शासन में प्रशासनिक तंत्र भाजपा नेताओं के प्रभाव में कमजोर हो रहा है। जहां एक ओर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर्यावरण संरक्षण और कानून व्यवस्था को लेकर सख्त रुख अपनाने का दावा करते हैं, वहीं दूसरी ओर ऐसे मामलों में कार्रवाई न होने से जनता का विश्वास कमजोर हो रहा है।

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वन विभाग का पक्ष
प्रभागीय वन अधिकारी अरविंद मिश्रा ने कहा, “पेड़ों की कटाई के मामले में अभियोग दर्ज किया गया है और न्यायालय में रिपोर्ट प्रस्तुत की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट को भी इसकी जानकारी दी जा रही है।” लेकिन यह बयान सवालों के जवाब देने में असमर्थ है कि इतनी बड़ी घटना कैसे हुई और जिम्मेदारों पर अब तक सख्त कार्रवाई क्यों नहीं की गई? इस मामले में निरंतर डीएफओ आगरा को दूरभाष के माध्यम से संपर्क किया गया,लेकिन उनके द्वारा फोन रिसीव नहीं किया गया।

क्या योगी सरकार लेगी सख्त कार्रवाई?

क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस मामले का संज्ञान लेकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे, या सत्ता के रसूखदारों के दबाव में यह मामला भी दब जाएगा? यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार अपने पर्यावरण संरक्षण के वादों पर कितनी ईमानदारी से खड़ी उतरती है।

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