उत्तर प्रदेश की राजनीति में बुधवार, 8 अक्टूबर 2025 को एक बड़ा और भावनात्मक क्षण सामने आया। समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव अपनी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान से उनकी जेल से रिहाई के 15 दिन बाद पहली बार मिलने के लिए रामपुर पहुंचे। यह मुलाकात न सिर्फ एक राजनीतिक औपचारिकता थी, बल्कि सपा में चल रहे आंतरिक मनमुटाव को दूर करने और सुलह की ओर पहला कदम माना जा रहा है।
अखिलेश यादव का रामपुर दौरा: जौहर यूनिवर्सिटी से घर तक का सफ़र
बुधवार सुबह सपा प्रमुख अखिलेश यादव निजी विमान से लखनऊ से रवाना हुए और बरेली एयरपोर्ट होते हुए दोपहर लगभग 12:45 बजे रामपुर में जौहर यूनिवर्सिटी के हेलीपैड पर उतरे।
यहां का दृश्य कार्यकर्ताओं और मीडिया के लिए अत्यंत भावनात्मक था। आजम खान ने खुद अखिलेश का स्वागत किया। दोनों नेताओं ने गले मिलकर एक-दूसरे का अभिवादन किया। बताया गया कि इस दौरान आजम खान की आँखें नम थीं। इसके बाद दोनों दिग्गज नेता एक ही कार में सवार होकर आजम खान के आवास के लिए रवाना हुए।
घर पहुँचने पर, अखिलेश यादव ने आजम खान का हाथ थामा और उन्हें अंदर ले गए। यह दृश्य दोनों नेताओं के बीच गहरे व्यक्तिगत संबंध और सम्मान को दर्शाता है, जिसने कार्यकर्ताओं को भावुक कर दिया।
अकेले मुलाकात की शर्त और नाराजगी का अंत
यह मुलाकात इसलिए भी चर्चा का विषय रही क्योंकि आजम खान ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि वह अखिलेश यादव से अकेले मिलेंगे। परिवार का कोई अन्य सदस्य इस मुलाकात में शामिल नहीं होगा।
माना जा रहा है कि लंबे समय तक जेल में रहने और उनकी रिहाई के समय अखिलेश यादव के न पहुंचने को लेकर आजम खान कुछ मुद्दों पर नाराज थे। यह रामपुर की बैठक उसी नाराजगी को दूर करने और आगामी उत्तर प्रदेश के चुनावों से पहले पार्टी में एकजुटता स्थापित करने का प्रयास हो सकती है।
सख्त सुरक्षा और सीमित उपस्थिति
आजम खान के आवास के बाहर समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ जमा थी। पुलिस ने सुरक्षा कारणों से मीडिया और अन्य नेताओं को बैरिकेडिंग लगाकर घर से कुछ दूरी पर ही रोक दिया। सूत्रों के अनुसार, यह मुलाकात पूरी तरह से निजी और सीमित रखी गई, जिसमें घर के अंदर केवल 12 लोग ही मौजूद थे।
मुलायम सिंह यादव को याद कर हुए भावुक
इस अहम मुलाकात के दौरान, दोनों नेताओं ने पार्टी के संस्थापक और संरक्षक मुलायम सिंह यादव को भी याद किया।
आजम खान ने अपनी पुरानी हैसियत और मुलायम सिंह से अपने संबंधों को याद करते हुए कहा, “मैं जहां उंगली रखता, नेताजी वहां साइन करते थे।” यह बयान पार्टी के भीतर अपने पुराने सम्मान और कद को फिर से स्थापित करने की उनकी इच्छा को दर्शाता है।
इस पर अखिलेश यादव ने भी सम्मानपूर्ण प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “आजम खान हमारी पार्टी के दरख्त हैं — इनकी बात ही कुछ और है।” अखिलेश का यह बयान न केवल आजम खान के प्रति सम्मान व्यक्त करता है, बल्कि एक मजबूत राजनीतिक संकेत भी देता है कि पार्टी में उनका स्थान अपरिवर्तित है।
रिहाई का संदर्भ: “बड़ा, बड़े को लेने आता है”
गौरतलब है कि आजम खान को 23 सितंबर को जेल से रिहा किया गया था। उस समय, सपा प्रमुख अखिलेश यादव उन्हें लेने नहीं पहुंचे थे। तब आजम खान ने एक तीखा बयान दिया था: “हम कोई बड़े नेता नहीं हैं। अगर बड़े नेता होते, तो बड़ा नेता लेने आता। बड़ा, बड़े को लेने आता है।”
रामपुर की आज की मुलाकात को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है। देर से ही सही, अखिलेश यादव का आजम खान से मिलना, उनके पुराने बयान के बाद पार्टी में उत्पन्न हुए तनाव को कम करने का एक बड़ा कदम है।
सपा की भविष्य की रणनीति पर असर
आजम खान और अखिलेश यादव के बीच हुई यह बातचीत समाजवादी पार्टी की आने वाले दिनों की दिशा और रणनीति को निश्चित रूप से प्रभावित करेगी। रामपुर में हुआ यह भावनात्मक पुनर्मिलन उत्तर प्रदेश की सियासत में सपा के भीतर एकता और भविष्य की योजना की शुरुआत हो सकता है। क्या यह मुलाकात नाराजगी का अंत है या सपा की एक नई शुरुआत, यह आने वाला समय ही बताएगा।