राम का विश्वाभिराम स्वरुप पर आगरा कॉलेज मे आयोजन
महामहोपाध्याय जगद्गुरु रामभद्राचार्य को साक्षात् देखने व सुनने का आगरा कॉलेज को मिला अवसर
आगरा कॉलेज, आगरा मे मंगलवार को संस्कृत विभाग के तत्वावधान मे ”अनुसूया जयन्ती वैशाख कृष्णपक्ष चतुर्थी तदुपरि पंचमी” के शुभ अवसर पर “राम का विश्वाभिराम स्वरुप” विषय पर एक विषयिणी विद्वद्गोष्ठी का आयोजन पं. गंगाधर शास्त्री भवन मे किया गया,
जिसमें मुख्य व्याख्याता के रूप में धर्मचक्रवर्ती महामहोपाध्याय श्री चित्रकूटतुलसीपीठाधीश्वरजगदगुरू रामानंदाचार्या पद्म विभूषण स्वामी श्री रामभद्राचर्या जी ने उपस्थित शिक्षकों, विद्यार्थियों व अन्य धर्मसुधि श्रोताओं को भगवान राम के विश्वाभिराम स्वरुप का अपने प्रवचनों के माध्यम से दर्शन कराए।
जगद्गुरु श्री रामभद्राचर्या जी ने दीप प्रज्ज्वलित करके कार्यक्रम की शुरुआत की।
स्वागत वाचिक प्राचार्य प्रो अनुराग शुक्ल ने जगदगुरु रामभद्राचार्य महाराज का स्वागत अभिनंदन शिखरिणी छंद में स्वरचित आठ संस्कृत पद्यों में किया।
कार्यक्रम मे जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी महाराज ने अपने ज्ञान के सागर से सबको सम्मोहित करते हुए कहा कि मैं अपने आप को बहुत भाग्यशाली समझता हूं क्योंकि मेरा शिक्षा से संबंध हैं, शिक्षा ही हमारा धर्म है। उन्होने कहा कि “जो सबका मंगल कर देते हैं, वहीं है श्री राम”।
उन्होंने शिक्षा का अर्थ बताते हुए कहा कि उपकार के लिए पढ़ाई जाती है तो वह शिक्षा कहलाती है। जहां एक विद्यार्थी विद्या को स्वीकार करता है, तो वह राष्ट्र का उद्धार करता हैं। विद्यार्थी के जीवन मे समर्थ बनने की जिज्ञासा जगाना ही शिक्षा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति का भारतीय वांग्मय से समन्वय कर लेना चाहिए तभी इसका उद्देश्य पूर्ण होगा।
जगद्गुरु ने श्रीराम के बारे मे बताते हुए कहा कि रामजी खुद समर्थ है और सभी को समर्थ बनाते हैं। उन्होंने सुन्दरता के बारे मे कहा कि कर्तव्य का स्मरण कर लेना ही सुन्दरता है।
अपने को शिक्षाविद बताते हुए कहा कि मेरा मुख्य कार्य कथा वाचन नहीं, शिक्षा देना है।
भारतीय संस्कृति पर बोलते हुए कहा कि तलाक की प्रथा हमारी नहीं है, विधर्मियों ने इसे हमारे ऊपर थोपा है। पति कभी भी पत्नी का त्याग कर ही नहीं सकता, क्योंकि वह अग्नि के समक्ष उसको स्वीकार करता है। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि श्रीराम ने अहिल्या को अपने चरण कमल से स्पर्श करके गौतम ऋषि से ऐसे जोड़ दिया, जैसे कभी अलग हुए ही नहीं थे।
राम के विश्वाभिराम स्वरुप को और अधिक
स्पष्ट करते हुए धनुष, यज्ञ, खरदूषण उपादान और अपादान को श्रीराम से संबद्ध करके समझाया। कहा कि सुंदर राष्ट्र की संकल्पना राम के स्वरूप के अनुकरण से प्राप्त होगी।
कार्यक्रम का संचालन प्रो गौरांग मिश्रा ने किया।
प्रो केपी तिवारी, प्रो बीके शर्मा, प्रो अlàमित अग्रवाल, प्रो आनंद पांडे, डा चंद्रवीर सिंह, डा अनिल सिंह, डा रूपेश दीक्षित ने अतिथियों का स्वागत किया।
इस दौरान कवि सोम ठाकुर, पूरन डाबर, डॉ निर्मला दीक्षित, आरबीएस कॉलेज प्राचार्य प्रो विजय श्रीवास्तव, प्रो मनोज रावत, प्रो रामवीर सिंह, प्रो निशांत चौहान, प्रो कृपा शंकर, डा आनंद पाराशर आदि मुख्य रूप से उपस्थित रहे।
कार्यक्रम में प्रो केडी मिश्रा, प्रो दीपा रावत, प्रो ममता सिंह, प्रो अमिता सरकार, प्रो अमित रावत, डा उमेश शुक्ला, प्रो सुनीता रानी, प्रो सुनीता द्विवदी, प्रो राकेश कुमार, प्रो नीरा शर्मा, प्रो मनोज शर्मा, प्रो केके यादव, डा केशव सिंह, डा आरपी सिंह, डा निधि शर्मा, डा रिजू निगम, प्रो विनोद कुमार, डा अमित चौधरी, जितेंद्र शर्मा, एसके सोनकर, अनिल खंडेलवाल, राजीव सिंह आदि उपस्थित रहे।
एनसीसी कैडेट्स, एनएसएस स्वयंसेवकों व पत्रकारिता के छात्रों ने व्यवस्थाओं में सहयोग प्रदान किया।