एटा: एटा के अग्निशमन विभाग के चीफ फायर ऑफिसर (CFO) कार्यालय में रिश्वतखोरी का सनसनीखेज मामला सामने आया है। सोशल मीडिया में वायरल वीडियो ने विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। वीडियो में सिपाही जितेंद्र माउंट ग्रीन इंटरनेशनल स्कूल की एनओसी के लिए 60 हजार रुपये की रिश्वत की मांग करते दिख रहे हैं। यह वीडियो सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल रहा है, जिसके बाद से संलिप्त कर्मचारियों पर कार्रवाई का दबाव बढ़ गया है।
रिश्वत की मांग का वीडियो हुआ वायरल
वायरल वीडियो में सिपाही जितेंद्र स्कूल प्रबंधक से एनओसी के लिए पैसे की मांग करते नजर आ रहे हैं। स्कूल प्रबंधक ने बताया कि एनओसी के लिए शुरू में पांच हजार रुपये मांगे गए, जो बाद में बढ़कर 60 हजार रुपये हो गए। प्रबंधक ने 30 हजार रुपये का भुगतान किया, लेकिन बाकी राशि को लेकर सौदेबाजी का खुलासा वीडियो में हुआ। प्रबंधक ने कहा, रिश्वत के बिना एनओसी मिलना असंभव था। हमने मजबूरी में पैसे दिए, लेकिन अब सच सामने आ गया है।
CFO पर उठे सवाल, जांच की मांग
इस घटना ने सीधे तौर पर CFO कार्यालय की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगा दिए हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि बिना CFO की जानकारी के इतनी बड़ी राशि की रिश्वत का लेन-देन संभव नहीं। सवाल उठ रहा है कि क्या CFO को इस रिश्वतखोरी की जानकारी थी? अगर हां, तो अब तक कितनी एनओसी रिश्वत के दम पर जारी की गई होंगी? सोशल मीडिया पर लोग पूछ रहे हैं, अगर गहन जांच हो, तो कितने और ऐसे मामले सामने आएंगे?
जांच में हो सकता है खुलासा
वायरल वीडियो के बाद जिला प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई का मन बना लिया है। सूत्रों के मुताबिक, जिला प्रशासन ने वीडियो की प्रामाणिकता की जांच शुरू कर दी है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, मामला गंभीर है। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। वहीं सामाजिक संगठनों ने इस मामले में उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। उनका कहना है कि रिश्वतखोरी का यह खेल लंबे समय से चल रहा होगा, जिसकी परतें अब खुलनी चाहिए।
सार्वजनिक सुरक्षा से खिलवाड़
अग्निशमन विभाग की एनओसी स्कूलों और अन्य संस्थानों की सुरक्षा के लिए अनिवार्य है। लेकिन रिश्वत के खेल ने इस प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठा दिए हैं। लोगों में आक्रोश है कि अगर सुरक्षा से जुड़े दस्तावेज रिश्वत के दम पर जारी हो रहे हैं, तो यह जनता की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है।
लोगों की मांग है कि रिश्वतखोरी के इस नेटवर्क उच्च स्तरीय जांच की जाए। अब देखना होगा कि इस मामले में कितनी तेजी और क्या कार्रवाई की जाती है।
