आशा को पुनर्जीवित करना: आगरा के जालमा (JALMA) का कुष्ठ नियंत्रण में अग्रणी योगदान

Dharmender Singh Malik
3 Min Read

भारत में कुष्ठ रोग नियंत्रण में आगरा के जालमा (JALMA) का महत्वपूर्ण योगदान। 1963 में स्थापित यह केंद्र कुष्ठ रोग के उपचार, रोकथाम और सामाजिक कलंक मिटाने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। जानें कैसे जालमा ने देश में कुष्ठ रोग की दर को कम करने में मदद की है और यह स्वास्थ्य क्षेत्र में एक सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास कर रहा है।

बृज खंडेलवाल 

आगरा। कुष्ठ रोग के खिलाफ भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण सफलता हासिल हुई है, लेकिन इसे अक्सर नजरअंदाज किया जाता है। आगरा में स्थित जालमा (JALMA) का पिछले पचास वर्षों में इस दिशा में महत्वपूर्ण योगदान रहा है, जिसे उचित मान्यता नहीं मिली है।

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कुष्ठ रोग की व्यापकता दर में कमी लाने के लिए भारत ने एक समग्र दृष्टिकोण अपनाया है। 2014-15 में प्रति 10,000 जनसंख्या पर 0.69 की दर को घटाकर 2021-22 में 0.45 किया गया। इसी प्रकार, प्रति 100,000 जनसंख्या पर नए मामलों की पहचान की दर 2014-15 में 9.73 से घटकर 2021-22 में 5.52 हो गई है।

भारत के प्रयासों ने नए कुष्ठ मामलों की संख्या को 2014-15 में 125,785 से घटाकर 2021-22 में 75,394 कर दिया, जिससे प्रति 10,000 जनसंख्या पर 4.56 की वार्षिक पहचान दर बनी। यह प्रगति भारत को दुनिया के सबसे बड़े कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम, राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम (NLCP) का घर बनाती है। जालमा का कार्य और भारत सरकार की प्रतिबद्धता इस सदियों पुरानी बीमारी से लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।

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हालांकि, कुछ क्षेत्रों में कुष्ठ मामलों की वृद्धि की चिंता स्वास्थ्य मंत्रालय को उपचारात्मक कदम उठाने के लिए प्रेरित कर रही है। कुष्ठ रोगियों का सामाजिक कलंक, जो सामाजिक बहिष्कार और भेदभाव का कारण बनता है, अब भी एक गंभीर समस्या है। महात्मा गांधी द्वारा कोढ़ियों के प्रति करुणा का संदेश आज भी जरूरी है, क्योंकि कई लोग चुपचाप इस रोग से ग्रसित हैं।

जालमा कुष्ठ रोग केंद्र, जो भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा संचालित है, ने कुष्ठ रोग के नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह केंद्र भारत और जापान के बीच मित्रता का प्रतीक है। 1963 में प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू द्वारा स्थापित जालमा का उद्घाटन 1967 में तत्कालीन उपराष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन ने किया था।

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आज, जालमा एक अत्याधुनिक अनुसंधान केंद्र है जो कुष्ठ रोग और अन्य माइकोबैक्टीरियल रोगों पर केंद्रित है। इसने नई पीढ़ी के प्रतिरक्षा विज्ञान, महामारी विज्ञान और आणविक नैदानिक उपकरणों के विकास में महत्वपूर्ण प्रगति की है।

जालमा का योगदान न केवल कुष्ठ रोग के इलाज में है, बल्कि यह सामाजिक कलंक को मिटाने और मानवता की सेवा करने का भी प्रतीक है।

 

 

 

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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