एटा: जैथरा नगर पंचायत में स्वच्छ पेयजल व्यवस्था के नाम पर करोड़ों की योजनाओं का खेल नया नहीं है, लेकिन इस बार जिस घोटाले की चर्चा जोरों पर है, वह जनता की बुनियादी जरूरत से सीधा जुड़ा हुआ है। नगर पंचायत को करीब 85 लाख रुपये की धनराशि विभिन्न स्थानों पर आरओ वाटर कूलर लगाने के लिए दी गई थी, ताकि जनता को गर्मी के दिनों में स्वच्छ और ठंडा पानी आसानी से मिल सके। लेकिन आज की हकीकत यह है कि जिन स्थानों पर ये वाटर कूलर लगाए गए थे, वहां अब सिर्फ खाली प्लेटफॉर्म, टूटी टाइलें या जंग लगे पाइप दिखाई देते हैं।
नगर पंचायत के मंडी परिसर, मंडी तिराहा (बिजली घर के पास), कांशीराम कॉलोनी, पंचवटी मंदिर परिसर, श्री गांधी सार्वजनिक इंटर कॉलेज, हनुमान गढ़ी, बीआरसी सेंटर, दूध फैक्ट्री के सामने समेत नौ स्थानों पर आरओ वाटर प्लांट लगाए गए थे। एक प्लांट की कीमत लाखों में बताई गई थी, लेकिन अब न तो मशीनें हैं, न ही उनके संचालन का कोई रिकॉर्ड। कहीं मशीनें उखाड़ी गईं तो कहीं महीनों से बंद पड़ी रहीं और अंततः गायब हो गईं।
जनता सवाल पूछ रही है कि आखिर 85 लाख रुपये का हिसाब कौन देगा? इन आरओ कूलरों की खरीद, इंस्टॉलेशन और रखरखाव की जिम्मेदारी किसकी थी? क्या नगर पंचायत ने कभी इन प्लांट्स की मॉनिटरिंग की? क्या कोई हैंडओवर या मेंटेनेंस रिकॉर्ड मौजूद है? या फिर यह भी अन्य भ्रष्टाचार की फाइलों की तरह धूल खा रहा है?
लोगों का कहना है कि शुरुआत में कुछ महीने तक मशीनें चलीं भी, लेकिन जल्द ही खराब हो गईं और कभी उनकी मरम्मत नहीं कराई गई। कई लोगों ने शिकायत की थी कि इन मशीनों से पानी नहीं आ रहा, लेकिन नगर पंचायत कर्मियों ने ध्यान नहीं दिया।
अब यह मामला सीधे-सीधे जन धन के दुरुपयोग की ओर इशारा करता है। यदि 85 लाख रुपये खर्च हुए थे, तो आज जनता को कम से कम पानी की सुविधा मिलनी चाहिए थी। लेकिन ना सुविधा है, ना मशीनें, और ना ही कोई जवाबदेही।
लोगों की मांग है कि पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच हो, नगर पंचायत से खर्च का पूरा ब्योरा सार्वजनिक किया जाए और जिम्मेदारों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
क्योंकि सवाल सिर्फ आरओ मशीनों का नहीं है,यह जनता के पैसे की लूट और नगर पंचायत प्रशासन की लापरवाही का सबसे ज्वलंत उदाहरण है।
