आगरा: आगरा के धनौली, बल्हेरा और अभयपुरा गाँवों में फार्म मजदूरों के काम के अवसर सीमित हो गए हैं, जिससे उनके सामने गहरा आजीविका संकट खड़ा हो गया है। इसके साथ ही, क्षेत्र में जलभराव की समस्या भी गंभीर रूप ले चुकी है, जिसने स्थानीय जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। सिविल सोसायटी आगरा ने सिविल एन्क्लेव/एयरपोर्ट के लिए हुए भू-अधिग्रहण से प्रभावित ग्रामीणों को तत्काल वैकल्पिक रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए शासन से कार्य योजना बनाने की मांग की है।
क्षेत्र से मिल रहे फीडबैक के अनुसार, फार्म वर्कर काम की तलाश में बेहद नकारात्मक स्थिति में हैं। बेरोजगारी बढ़ने के अलावा, मानसून शुरू होने के बावजूद नाले-नालियां साफ न होने से जलभराव की समस्या विकराल हो गई है। सिविल सोसायटी ने मुख्य विकास अधिकारी से इस मुद्दे पर तत्काल स्थलीय निरीक्षण करवाने का अनुरोध किया है।
जलभराव और गंदे पानी की निकासी एक बड़ी चुनौती
अभयपुरा, धनौली और बल्हेरा गाँवों में वर्षाकालीन जलभराव की समस्या और नालों के गंदे पानी के डिस्चार्ज को लेकर गंभीर चुनौतियां हैं। सिविल सोसायटी का मानना है कि इस समस्या का तात्कालिक समाधान संप-पंप व्यवस्था को मजबूत करना है। साथ ही, अन्य जलभराव प्रभावित क्षेत्रों के लिए स्थानीय ज़रूरतों के अनुरूप समाधान के साथ-साथ मानक समाधान भी ज़रूरी है।
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नालों का उफान बना मुसीबत
सबसे बड़ी स्थानीय समस्या यह है कि धनौली-मलपुरा नहर पुल तक के पानी की निकासी कहाँ की जाए। पहले ग्रामीण क्षेत्र के अनुरूप स्थानीय जल निस्तारण व्यवस्थाएं और संरचनाएं थीं, लेकिन खेरिया कमाल खां से धनौली तक होने वाले जलभराव के निस्तारण के लिए जल निगम द्वारा बनाए गए नाले के बाद यह समस्या और भी बढ़ गई है।
अजीत नगर चौराहे से धनौली सेंसस टाउन सीमा शुरू होने तक का पूरा क्षेत्र नगर निगम की सीमा में आता है, लेकिन नगर निगम द्वारा यहां नाले-नालियों की सफाई के लिए कोई इंतजाम नहीं करवाया गया है। अजीत नगर चौराहे से धनौली तक जगनेर रोड के दोनों ओर बने नाले वर्षाकाल में तो जमकर उफनते ही हैं, सामान्य दिनों में भी इनका पानी सामान्य आवागमन को प्रभावित करता है।
स्थायी समाधान की तलाश
इस समस्या का स्थायी समाधान तभी संभव है, जब सभी नाले-नालियों का डिस्चार्ज एक ही स्थान पर एक तालाब बनाकर एकत्र किया जाए और 3/5 एमएलडी (मिलियन लीटर प्रति दिन) का एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) स्थापित कर ट्रीटेड पानी को पाइपों के माध्यम से पंप कर निस्तारित किया जाए। यह पानी गाँवों की परंपरागत (राजस्व रिकॉर्डों में दर्ज) पोखरों और तालाबों में पहुंचाया जाना अधिक लाभकारी होगा।
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तालाबों और पोखरों का पुनरुद्धार
सिविल सोसायटी का सुझाव है कि अगर एसटीपी से ट्रीट किए गए पानी की गुणवत्ता उपयुक्त है, तो इसका उपयोग मलपुरा पुल के पास नहर में भी डिस्चार्ज कर खेती के काम में किया जा सकता है। हालांकि, प्राथमिकता पोखरों और तालाबों को भरने की ही होनी चाहिए। पोखरों और तालाबों में पानी की कमी रहने से पूरे क्षेत्र में पशुपालन और दुग्ध कारोबार में भी कमी आई है।
कृषि श्रमिकों को नहीं मिल रहा काम
सिविल एयरपोर्ट बनाए जाने के लिए जिन किसानों की जमीनें अधिग्रहित की गई थीं, उन्हें तो मुआवजा मिल गया, लेकिन खेती बंद होने से बड़ी संख्या में खेतिहर श्रमिकों के हाथ खाली हो गए हैं। उनकी कार्य दक्षता के अनुरूप कोई काम नहीं रह गया है। सिविल सोसायटी ने उत्तर प्रदेश शासन से मांग की है कि बल्हेरा, धनौली और अभयपुरा गाँवों के कृषि श्रमिकों की स्थिति का सर्वे करवाया जाए और उन्हें काम दिया जाना सुनिश्चित करने के लिए कार्ययोजना बनाई जाए। सिविल सोसायटी इस संबंध में श्रमिक समस्याओं के अध्ययन की मानक संस्था वी.वी. गिरि नेशनल लेबर इंस्टीट्यूट (VVGNLI) नोएडा को भी पत्र लिख रही है।
जनप्रतिनिधि शासन में उठाएं मामला
सिविल सोसायटी ऑफ आगरा ने शासन और आगरा ग्रामीण क्षेत्र से संबंधित जनप्रतिनिधियों से अनुरोध किया है कि सिविल एन्क्लेव/एयरपोर्ट के लिए भू-अधिग्रहण के कारण जो विद्यालय और सार्वजनिक उपयोग के स्थल प्रभावित हुए थे, उन्हें उपयुक्त स्थान पर बनाने का कार्य तुरंत शुरू करवाया जाए। इसके लिए शासन के समक्ष धन की मांग विधानसभा के मानसून सत्र में रखने के लिए जनप्रतिनिधि समन्वय से डॉक्यूमेंट तैयार करवाएं।