आगरा। बालाजीपुरम में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के छठवें दिन व्यासपीठ पर विराजमान पूज्य संत स्वामी राम प्रपन्नाचार्य जी ने श्री गोवर्धन पूजा श्रीउद्धव बृजगमन,कंस बध,श्री कृष्ण- रुक्मणी विवाह आदि कथाओं का भावपूर्ण वर्णन किया।
पूज्य संत स्वामी रामप्रपन्नाचार्य जी ने कहा कि कलयुग में राम नाम संकीर्तन ही सब रोगों की दवाई है। वेद मंत्र और शंख ध्वनि सुनने से ही असाध्य रोग ठीक हो जाते हैं। आज हमारी संस्कृति वृत्ति से निवृत्ति की ओर जा रही है।
पूज्य संत बोले जो भक्तों के पापों का हरण कर लेते हैं,वही हरि है। भगवान भक्त का धन,संपत्ति या जाति नहीं देखते हैं वे केवल उसका निस्वार्थ भाव देखकर ही आशीर्वाद देते हैं। याद रखो बिना गुरु के हरि कृपा नही होती है। अतः यदि सच्चा गुरु न मिले तो गीता को, भागवत को ही गुरु मान लें। क्योंकि गुरु तत्व है, प्रभु से अधिक गुरु को जाने, क्योंकि भगवान में प्रीत होती है, किंतु गुरु में परमप्रीत होती है। हमारी संस्कृति 5000 बर्ष पुरानी है।संत, गुरु जब आयें अपनी क्रिया कैसी हो यह विचारणीय है। संत,गुरु के सामने जमीन पर लेटने से रज कण लगते हैं, उनसे पाप धुल जाते हैं। कष्ट दूर हो जाते हैं।
कथा में आचार्य ब्रह्मचारी,एस के एस ग्रुप के प्रबंधक संतोष शर्मा,टोरेंट पावर के पीआरओ भूपेंद्र सिंह,गजेंद्र शर्मा, के के भारद्वाज,राजेंद्र प्रसाद अग्रवाल,कुलदीप तिवारी,महेश चंद्र शर्मा,सोमेंद्र सोलंकी,मुन्ना लाल कुलश्रेष्ठ आदि प्रमुख सहित सैकड़ों कथा प्रेमी मौजूद रहे।