प्रसूता को नहीं मिला प्राथमिक उपचार, मजबूरी में प्राइवेट ऑटो से जाना पड़ा दूसरे अस्पताल
विधायक बाबूलाल ने जताई नाराजगी, अफसरों व कर्मचारियों की करेंगे उच्चस्तरीय शिकायत
आगरा। उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की लापरवाही की खबरें अक्सर सुर्खियों में रहती हैं। सोशल मीडिया पर स्वास्थ्य मंत्री द्वारा त्वरित कार्रवाई के दावे तो होते हैं, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। आगरा जनपद के गांव रूनकता स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की बदहाली इसका ताजा उदाहरण है।
आज,सोमवार सुबह लगभग सात बजे गांव अकबरा निवासी अनूप सिकरवार अपनी गर्भवती पत्नी को प्रसव हेतु पीएचसी रूनकता लेकर पहुंचे। लेकिन वहां घंटों इंतजार के बावजूद कोई डॉक्टर या स्टाफ मौजूद नहीं था। इस दौरान प्रसूता दर्द से कराहती रही।अनूप ने केंद्र की महिला चिकित्सक को कई बार फोन किया, लेकिन उन्होंने कॉल उठाना तक जरूरी नहीं समझा। अन्य स्टाफ से भी संपर्क की कोशिश की गई, पर कोई जवाब नहीं मिला। जब ग्राम प्रधान अनुज कुमार को जानकारी दी गई तो वह मौके पर पहुंचे और उच्च अधिकारियों को कॉल किया, लेकिन उनके फोन भी रिसीव नहीं किए गए। अंततः अनूप ने एंबुलेंस को कॉल किया, पर काफी देर तक कोई सहायता नहीं मिल सकी। पत्नी की हालत बिगड़ती देख उन्होंने एक प्राइवेट ऑटो बुलवाकर किसी निजी अस्पताल में भर्ती कराया।इस पूरे घटनाक्रम का ऑडियो-वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है। ग्रामीणों का कहना है कि यह स्वास्थ्य केंद्र अब केवल नाम का रह गया है। कभी यहां महीने में करीब 70 प्रसव होते थे, लेकिन अब डॉक्टरों और स्टाफ की लापरवाही के चलते मरीज बिना इलाज लौटने को मजबूर हैं।
“10 बजे आते हैं, 2 बजे हो जाते हैं गायब” – ग्राम प्रधान
स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि अस्पताल का स्टाफ सुबह 10 बजे के बाद ही आता है और दोपहर 2 बजे से पहले ही ताला लगाकर चला जाता है। मोटी तनख्वाह लेने के बावजूद न तो चिकित्सक जिम्मेदारी निभा रहे हैं, और न ही अन्य कर्मचारी। इस लापरवाही का खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है। इलाज के अभाव में झोलाछाप डॉक्टरों की चांदी कट रही है।ग्राम प्रधान ने बताया कि पहले यह केंद्र गरीब ग्रामीणों और प्रसूताओं के लिए अत्यंत लाभकारी था, लेकिन पिछले छह महीनों से डॉक्टर और स्टाफ की लापरवाही के कारण अब मरीजों को खाली हाथ लौटना पड़ता है। उन्होंने आरोप लगाया कि इतने गंभीर हालात होने के बावजूद किसी भी अधिकारी ने अब तक कोई संज्ञान नहीं लिया है।इस संबंध में सीएमओ आगरा से पक्ष जानने के लिए कई बार संपर्क किया गया, लेकिन उन्होंने भी कॉल रिसीव नहीं किया।
विधायक ने जताई सख्त नाराजगी
घटना की जानकारी मिलते ही विधायक चौधरी बाबूलाल ने अफसरों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी निरंकुश हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि सरकार स्वास्थ्य सेवाओं के लिए करोड़ों रुपये का बजट देती है और एक पूरी टीम निगरानी के लिए तैनात है, फिर भी जमीनी हालात चिंताजनक हैं। विधायक ने इस प्रकरण की लखनऊ स्तर पर शिकायत करने की बात कही है।