झांसी: झांसी मंडल के जाखलौन रेलवे स्टेशन पर सोमवार को एक दिल दहला देने वाला रेल हादसा हुआ, जिसमें सीनियर गुड्स गार्ड देवेंद्र कुमार की मौत हो गई। यह हादसा तब हुआ जब देवेंद्र कुमार मालगाड़ी को स्टेबल कर रहे थे और महाकाल एक्सप्रेस की चपेट में आ गए। इस दुर्घटना ने रेलवे कर्मचारियों की सुरक्षा और कार्य-स्थितियों को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
हादसा कैसे हुआ?
हादसा सुबह करीब 7 बजे हुआ, जब देवेंद्र कुमार झांसी से मालगाड़ी लेकर निकले थे। मालगाड़ी को स्टेबल करते समय अचानक महाकाल एक्सप्रेस आ गई, और देवेंद्र कुमार उसकी चपेट में आ गए। हादसे के कारण उनकी मौके पर ही मौत हो गई।
जानकारी के मुताबिक, देवेंद्र कुमार पिछले 10 घंटों से काम कर रहे थे। रेलवे कर्मचारियों की सामान्य ड्यूटी 8 घंटे की होती है, लेकिन वे ओवरटाइम काम कर रहे थे, जिसके कारण थकान और शारीरिक कमजोरी उनके शरीर पर असर डाल रही थी। ओवरटाइम और लगातार काम करने के कारण उनका संतुलन बिगड़ गया, जिससे वह ट्रेन की चपेट में आ गए।
कर्मचारियों और स्थानीय लोगों का शोक
इस दर्दनाक हादसे के बाद, रेलवे कर्मचारियों और स्थानीय लोगों ने गहरा शोक व्यक्त किया है। देवेंद्र कुमार के साथी कर्मचारियों का कहना है कि लगातार लंबे समय तक काम करने के कारण कई बार कर्मचारियों को मानसिक दबाव और शारीरिक थकान का सामना करना पड़ता है, जो इस तरह की घटनाओं का कारण बन सकता है।
“उनकी मेहनत और समर्पण को हमेशा याद किया जाएगा। यह घटना हमारे लिए एक बड़ा झटका है,” एक रेलवे कर्मचारी ने कहा।
रेलवे कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर उठे सवाल
रेलवे कर्मचारियों ने इस हादसे के बाद कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर अपनी चिंता जताई है। उनका कहना है कि ओवरटाइम काम करने की स्थिति और कार्य-समय की व्यवस्था की समीक्षा की जानी चाहिए। रेलवे कर्मचारियों का मानना है कि यदि कर्मचारियों को उचित आराम, और कार्य के घंटे तय किए जाएं, तो इस प्रकार की घटनाएं रुक सकती हैं।
कर्मचारियों का कहना है कि अगर ड्यूटी के समय और कार्य-स्थितियों में सुधार किया जाए, तो कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है और भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं से बचा जा सकता है।
रेलवे प्रशासन की कार्रवाई
रेलवे प्रशासन ने घटना की गंभीरता को देखते हुए जांच के आदेश दे दिए हैं। इसके अलावा, कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए नए दिशा-निर्देश जारी करने की बात भी की जा रही है। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि इस प्रकार के हादसों को रोकने के लिए सुरक्षा मानकों की समीक्षा की जाएगी और कर्मचारियों की भलाई के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
यह हादसा एक बार फिर से रेलवे कर्मचारियों की कार्य-स्थितियों और सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है। कर्मचारियों के लिए काम के घंटे और ओवरटाइम को लेकर नीति बनाने की आवश्यकता महसूस हो रही है ताकि इस तरह की घटनाएं भविष्य में न घटित हों। वहीं, इस हादसे ने यह भी साबित किया कि कर्मचारियों की सुरक्षा प्राथमिकता होनी चाहिए, ताकि उनकी जान की हानि से बचा जा सके।