गोरखपुर: पंडित भृगु नाथ चतुर्वेदी कॉलेज ऑफ लॉ, बड़हलगंज, गोरखपुर में अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के अवसर पर एक महत्वपूर्ण संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य पृथ्वी पर जीवन के लिए जैव विविधता के महत्व को रेखांकित करना था।
प्राचार्य का संबोधन: जीवन की विविधता ही पृथ्वी का आधार
संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अभिषेक पाण्डेय ने अपने संबोधन में कहा कि पृथ्वी पर जीवन को सुरक्षित और संरक्षित रखने के लिए जैव विविधता का होना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने जोर दिया कि इस धरा पर जीवन की विविधता बनी रहनी चाहिए, और सभी जीव-जंतुओं तथा वनस्पतियों को संरक्षित करना ही जैव विविधता को बनाए रख सकता है। डॉ. पाण्डेय ने पर्यावरणीय संरक्षण के लिए जैव विविधता की उपयोगिता को प्रासंगिक बताया।
सतत विकास के लिए प्रकृति का सामंजस्य
कॉलेज के मुख्यनियंता चंद्र भूषण तिवारी ने इस वर्ष के जैव विविधता दिवस की थीम “प्रकृति के साथ सामंजस्य और सतत विकास” पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि यह थीम इस बात पर जोर देती है कि सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रकृति का संरक्षण एवं संवर्धन अत्यंत आवश्यक है। तिवारी ने स्पष्ट किया कि बिना प्रकृति के संरक्षण के हम सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर सकते और पर्यावरणीय प्रदूषण को रोकने के लिए जैव विविधता को संरक्षित किया जाना चाहिए।
विशेषज्ञों के विचार: पारिस्थितिकी संतुलन का आधार जैव विविधता
संगोष्ठी में विभिन्न असिस्टेंट प्रोफेसरों ने भी अपने विचार साझा किए:
* असिस्टेंट प्रोफेसर फकरुद्दीन ने कहा कि जैव विविधता इस पृथ्वी पर पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन का आधार है।
* असिस्टेंट प्रोफेसर आशीष कुमार गुप्ता ने जोर दिया कि मानव को सदैव स्वस्थ पर्यावरण को बनाए रखने के लिए तत्पर रहना चाहिए।
* असिस्टेंट प्रोफेसर प्रीतीश कुमार तिवारी ने बताया कि जैव विविधता प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
छात्रों और संकाय सदस्यों की भागीदारी
कार्यक्रम का संचालन सूर्यांश कौशिक और विजयालक्ष्मी मिश्रा ने किया। संगोष्ठी में अंतिमा पाण्डेय, शिखा सिंह, विकास शर्मा, निखिल, सरफराज अंसारी, आनंद द्विवेदी सहित कई छात्रों और संकाय सदस्यों ने अपने विचार साझा किए और जैव विविधता संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की। यह संगोष्ठी जैव विविधता के महत्व और उसके संरक्षण की आवश्यकता पर जागरूकता बढ़ाने में सफल रही।