आरोपी ने पटक-पटक कर की थी बच्ची की हत्या
शव को तालाब किनारे दफनाकर सबूत मिटाने की थी कोशिश
कोर्ट ने सुनाया आजीवन कारावास व 15 हजार रुपये का जुर्माना
आगरा : उत्तर प्रदेश के आगरा जनपद के थाना अछनेरा क्षेत्र में 8 माह की मासूम बच्ची की बेरहमी से हत्या करने और सबूत मिटाने के जघन्य मामले में सत्र न्यायालय ने आरोपी सौतेले पिता मनोज को आजीवन कारावास और 15,000 का अर्थदंड देने की सजा सुनाई है।
सत्र न्यायाधीश ने कहा कि यह अपराध न केवल मानवीय मूल्यों के खिलाफ है, बल्कि एक अबोध शिशु पर की गई क्रूरता समाज को झकझोर देने वाली है।
घटना का विवरण
यह हृदयविदारक घटना 25 अक्टूबर 2019 की है, जब ग्राम मुड़ियापुरा थाना अछनेरा, आगरा निवासी माया देवी ने अपने पति मनोज पुत्र टीकम सिंह पर अपनी डेढ़ माह की बच्ची की हत्या का आरोप लगाया था।
माया देवी की यह बच्ची उसके पूर्व पति से जन्मी थी, जिसे वह अपने साथ लेकर आई थी। आरोपी मनोज इस बात से नाराज़ रहता था और **माया देवी पर बच्ची को परिजनों के पास छोड़ने का दबाव बनाता था।
हत्या का तरीका
घटना वाले दिन माया देवी शौच के लिए बाहर जा रही थी, जिस पर मनोज ने आपत्ति जताई। माया के इनकार करने पर दोनों के बीच कहासुनी हुई।
वापस लौटने पर माया देवी ने देखा कि उसकी बेटी जोर-जोर से रो रही थी। उसी समय मनोज ने बच्ची के सिर पर जोर से हाथ मारा, फिर उसे बिस्तर से उठाकर कई बार जमीन पर पटक दिया।
बच्ची बेहोश हो गई, जिसे लेकर माया डॉक्टर के पास भागी, लेकिन बच्ची को मृत घोषित कर दिया गया।
सबूत मिटाने की साजिश
माया जब बच्ची का शव लेकर घर लौटी, तो मनोज, उसकी मां त्रिवेणी और पिता टीकम सिंह ने जबरन शव उससे छीन लिया और भोलू व गिल्ला नामक दो अन्य व्यक्तियों को सौंप दिया।
इन लोगों ने सबूत मिटाने के इरादे से शव को गांव के तालाब के किनारे दफना दिया।
माया देवी की तहरीर पर पुलिस ने सभी 5 आरोपियों के खिलाफ हत्या और सबूत मिटाने की धाराओं में FIR दर्ज की और 26 अक्टूबर 2019 को सभी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
न्यायालय का फैसला
पुलिस ने महज एक महीने में विवेचना पूरी कर चार्जशीट अदालत में दाखिल कर दी थी।
सुनवाई के दौरान सरकारी अधिवक्ता (DGC) राधाकृष्ण गुप्ता ने मजबूत तर्क रखे और उपलब्ध साक्ष्यों, मेडिकल रिपोर्ट और माया देवी के बयान के आधार पर अदालत ने मुख्य आरोपी मनोज को दोषी माना।
अदालत ने मनोज को IPC की धारा 302 (हत्या) और 201 (सबूत नष्ट करना) के तहत दोषी मानते हुए आजीवन कारावास और ₹15,000 का जुर्माना लगाया।
अन्य चार आरोपियों – त्रिवेणी, टीकम सिंह, भोलू और गिल्ला को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया।