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साहब… मै जिंदा हूं, पीड़ित ट्रक चालक खुद को जिंदा साबित करने के लिए ईधर-उधर भटक रहा  

MD Khan
6 Min Read

ट्रांसपोर्टर ने जिंदा आदमी को दिखा दिया मृत

आगरा। साहब में जिंदा हूं, आपके थाना क्षेत्र में हुए एक्सीडेंट में मरने वाला व्यक्ति में नहीं हूं, मेरे ड्राइविंग लाइसेंस की डुप्लीकेट कॉपी को दिखाकर मृतक के परिजन और ट्रांसपोर्टर आपको गुमराह कर रहे हैं, जी हां ऐसा एक प्रार्थना पत्र थाना खंदौली क्षेत्र के ट्रक चालक ने प्रयागराज पुलिस को भेजा है। प्रार्थनापत्र और मौखिक हुई शिकायत के बाद प्रयागराज क्षेत्र के इंडिया थाने की पुलिस सकते में आ गई। इसकी जानकारी ट्रांसपोर्टर को हुई, तो आनन-फानन में प्रयागराज जाकर मामले को संभालने में लगे हुए हैं। जिंदा ड्राइवर कौन है? मृतक को मरने के बाद भी अपनी पहचान छिपानी पढ़ रही है, ऐसा क्यों, ट्रांसपोर्टर को क्या लालच है? यह सब जानने को पढ़िये दैनिक अग्र भारत की एक विस्तार रिपोर्ट…..

जिंदा चालक को प्रयाग राज पुलिस ने दिखाया मृतक

मामला कुछ इस प्रकार है। थाना खंदौली क्षेत्र के गांव वैलोठ निवासी चंद्रपाल सिंह चौहान (33 साल) पुत्र ओमवीर सिंह ट्रक चालक हैं। वह वर्तमान में छत्तीसगढ़ के जिला करवा कुसमुदा खदान में रहते हैं। वहीं पर एक कंटेनर चला रहे हैं। कुछ दिन पहले उन्हे जानकारी हुई कि यूपी के जिला प्रयागराज (इलाहावाद) के थाना इंडिया में एक एक्सीडेंट हुआ था। उसमें उसे मृत दिखाकर बीमा क्लेम और आईशर गाड़ी को रिलीज कराया जा रहा है। चंद्रपाल सिंह के मुताबिक वह घबरा गये। वह तो जिंदा हैं। उसे मृत घोषित कर दिया, तो आगे बहुत समस्याएं होगीं। चंद्रपाल के एक करीवी ने हंडिया पुलिस से पूरी जानकारी मांगी। विवेचक चंद्रशेखर ने बताया कि थाने में अपराया संख्या 415 / 23 आईपीसी की धारा.. 279, 304अ, 427 मुकदमा दर्ज है। पीड़ित ने बताया कि विवेचक ने कहा कि एक्सीडेंट में मरने वाला चंद्रपाल सिंह चौहान उर्फ रवेन्द्र है। मृतक का आधारकार्ड मांगा है।

एक्सीडेंट में मरने वाला है रवेन्द्र सिंह

चंद्रपाल सिंह ने बताया कि पूरी छानवीन की, तो उसमें निकलकर आया कि उनके सबसे छोटे चाचा रवेन्द्र ((53 साल) सिंह यूपी 80 बीएम9942 आइशर गाड़ी को लेकर प्रयागराज की तरफ गये थे। वहां एक्सीडेंट में उनकी मौत हो गई। उनके पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था। ट्रांसपोर्टर ने गाड़ी का बीमा क्लेम लेने के लिए चंद्रपाल सिंह का लाइसेंस पुलिस को दिया था। 21 जुलाई की शाम को एक्सीडेंट हुआ। ट्रांसपोर्टर जितेन्द्र सिंह तोमर ने 22 जुलाई को खुद प्रयागराज पहुंचकर कंटेनर एचआर 55 डीडब्ल्यू2460 चालक प्रेमवीर सिंह यादव निवासी हाथरस के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। एफआईआर में मृतक का नाम चंद्रपाल सिंह उर्फ रवेन्द्र सिंह दिखाया है। रवेन्द्र सिंह का आधारकार्ड, राशनकाड या अन्य किसी दस्तावेज में चंद्रपाल सिंह उर्फ रवेन्द्र नहीं लिखा है। आरोप है कि रवेन्द्र सिंह के परिजन और ट्रांसपोर्टर उसके लाइसेंस का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं।

ट्रांसपोर्टर करते हैं जानबूझकर गलतियां

ट्रांसपोर्ट के मालिक जितेन्द्र सिंह तोमर ने बताया कि रवेन्द्र सिंह के पर अपनी खुद की गाड़ी भी है। वह खाली बैठे थे। मेरा ड्राइवर नहीं था। रवेन्द्र सिंह ने कहा था कि एक चक्कर मैं लगा देता हूं। सबसे बड़ा सवाल है कि रवेन्द्र गाड़ी मालिक थे, तो वह अपनी गाड़ी छोड़कर दूसरी गाड़ी में ड्राइविंग क्यों करेंगे ? ट्रांसपोर्टर ने विना ड्राइविंग लाइसेंस चेक किये आगरा से सैकड़ों किमी दूर अकेले व्यक्ति को गाड़ी लेकर क्यों जाने दिया? एक्सीडेंट के बाद चालक का लाइसेंस न होने पर दूसरे व्यक्ति के लाइसेंस इस्तेमाल करना पुलिस को गुमराह करना है। यह धोखाधड़ी की श्रेणी में आता है। कई ट्रांसपोर्टर से इस संबंध में बात हुई। उन्होंने बताया कि हैवी ड्राइविंग लाइसेंस वाले चालक कम मिलते हैं। जो मिलते हैं। वह तनख्वाह अच्छी लेते हैं। नौसिखिये चालक खाने-पीने और कुछ हजार में मिल जाते हैं। इसलिए ट्रांसपोर्टर ऐसे चालकों की अपने पास फौज रखते हैं।

बीमा क्लेम के लिए रचा षडयंत्र

21 जुलाई शुक्रवार की शाम साढ़े पांच बजे मुगराव मोड के पास एक्सीडेंट हुआ। आइशर गाड़ी के चालक रवेन्द्र सिंह की मौत हो गई। दूसरे दिन ट्रांसपोर्टर और मृतक के परिजन प्रयागराज पहुंचे। वहां जानकारी हुई। कि मृतक के पास तो ड्राइविंग लाइसेंस ही नहीं है। ऐसे में गाड़ी बीमा क्लेम मिलना मुश्किल हो जायेगा। ट्रांसपोर्टर ने परिजनों से लाइसेंस लाने को कहा। आरोप है कि रवेन्द्र सिंह के परिजनों ने चंद्रपाल सिंह चौहान के ड्राइविंग लाइसेंस की फोटो अपने मोबाइल से थाने में दी। उसी के बिहाव पर मुकदमें में चंद्रपाल सिंह उर्फ रवेन्द्र सिंह दिखाया गया। हालांकि चंद्रपाल सिंह के प्रार्थनापत्र और उनके सिफारिशी के फोन कॉल के बाद ट्रांसपोर्टर ने चंद्रपाल सिंह के लाइसेंस को हटा दिया है।

दर्जनों लोग और प्रधान ने लिया पीड़ित का पक्ष

चंद्रपाल सिंह ग्राम प्रधान से मिले और अपने जिंदा होने की बात कही। प्रधान ने अपने लेटरहेड पर लिखकर दिया है कि चंद्रपाल सिंह पुत्र ओमवीर सिंह जिंदा हैं। गांव के दर्जनों लोगों ने भी हस्ताक्षर किये हैं। पूरे दस्तावेज थाने को भेज दिये हैं। आरोप है कि मृतक रवेन्द्र सिंह के परिजन गांव के डीलर से आज भी राशन लेते हैं। उसमें कहीं भी उनका नाम चंद्रपाल सिंह उर्फ रवेन्द्र नहीं लिखा है।
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