सुल्तान आब्दी
झाँसी उत्तर प्रदेश – एकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गुरसराय की अवस्थाएं , अनियमितताएं, डॉक्टरों की स्वेच्छा चरिता। संपूर्ण क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है। कुछ दिनपूर्व एक पत्रकार के पिता के सिर में चोट लग जाने पर उनका इलाज ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर ने किया ही नहीं। 22अक्टूबर की रात में सड़क दुर्घटना में घायल हुई मां और बेटी 1 घंटे तक अस्पताल में लहू लोहान पड़े तड़पते रहे, एक युवक भी अपना जला हुआ हाथ पकड़ दर्द से तड़पता रहा। बार बार बुलाने के बाद डॉक्टर साहब नाराज होते हुए आए और औपचारिकतापूर्ण करके चले गए।
चिकित्सी लापरवाही की हद तब हो गईजब 24 अक्टूबर को पत्रकार अंकित सेंगर के पिता राघवेंद्र सिंह सेंगर को दोपहर 2:30 बजे के करीब दिल का दौरा पड़ा परिजन और पत्रकार उन्हें लेकर स्वास्थ्य केंद्र पहुंचेऔर ड्यूटी पर तैना डॉक्टर से इलाज के लिए बार-बार कहते रहे डॉक्टर ने हाथ तक नहीं लगाया, सीपीआर तक नहीं किया ऑक्सीजन भी नहीं लगाई। बार-बार कहा गया तब बोले एंबुलेंस में है ऑक्सीजन एंबुलेंस में ही लगा दी जाएगी।

शुगर टेस्ट करने के लिए अस्पताल में लैब टेक्नीशियन तक नहीं मिला, सुगर की जाँच भी बाहर से करवानी पड़ी।इस अनियमित का परिणाम यह हुआ कि राघवेंद्र सिंह सेंगर की झांसी तक पहुंचने से पहले ही मौत हो गई। यदि समय रहते सी पी आर ट्रीटमेंट दिया जातातो स्थिति कुछ और हो सकती थी। ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों का सिर्फ एक ही उद्देश्य रहता है कि किसी भी तरह हो मरीज को झांसी रेफर करना है।
आए दिन मरीजों के साथ दुर्व्यवहार मरीजों की संख्या अधिक होने के बाद भी सिर्फ एक ही ओपीडी रूम की व्यवस्था, भूसे की तरह भरे मरीज। महिला चिकित्सक का सिर्फ तीन दिन ही रहना, एक्सरे करने में हीला हवा ली, अल्ट्रासाउंड के लिए बाहर भेजना, प्रसूता महिलाओं का मनमाने तरीके से इलाज करना। यह गुरसराय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की पहचान बन गया है बार-बार उच्च अधिकारियों को चिकित्सालय में व्याप्त अनियमितताओं से अवगत कराया गया है। लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ है और गुरसराय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मरीज का रेफर केंद्र बन गया
