राजा साहब ने भदावर हाउस में सिविल सोसायटी ऑफ आगरा के प्रतिनिधिमंडल के साथ चर्चा के दौरान बताया कि यमुना नदी की स्थिति में सुधार लाने के लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत है। उन्होंने सीवर ट्रीटमेंट प्लांट्स के उचित संचालन की आवश्यकता पर जोर दिया और मथुरा और आगरा के ड्रेनेज मास्टर प्लान के क्रियान्वयन का सुझाव दिया।
गोकुल बैराज से जल डिस्चार्ज की स्थिति
राजा अरिदमन सिंह ने बताया कि गोकुल बैराज से आगरा के लिए 1200 क्यूसेक की नियत जलराशि के स्थान पर मात्र नाममात्र का पानी ही डिस्चार्ज हो रहा है। इससे यमुना नदी में जलराशि बहुत कम रह गई है, जिससे जल शोधन की प्रक्रिया भी प्रभावित हुई है। आगरा जलकल की सिकंदरा और जीवनी मंडी यूनिटों का संचालन बंद हो चुका है, और अब आगरा की जलापूर्ति केवल गंगा जल पाइपलाइन पर निर्भर है, जो अपर्याप्त साबित हो रही है।
आगरा को 140 क्यूसेक से कम पानी
श्री सिंह ने बताया कि पाइपलाइन से 150 क्यूसेक गंगाजल में से 10 क्यूसेक मथुरा वृंदावन की पेयजल जरूरतों के लिए आवंटित है, लेकिन मथुरा के लिए इससे अधिक गंगाजल का उपयोग किया जा रहा है। इस कारण आगरा को केवल 120 क्यूसेक गंगाजल मिल पा रहा है।
जल संकट का समाधान
राजा अरिदमन सिंह ने कहा कि यदि आगरा को बल्देव राजवाह से 100 क्यूसेक गंगाजल प्राप्त होता है, तो न केवल जलकल के शोधन तंत्र को पुनः सुचारू किया जा सकेगा, बल्कि यमुना की मौजूदा स्थिति में भी सुधार होगा।
राजस्थान से जल साझा करने की अपील
पूर्व कैबिनेट मंत्री ने उप्र सरकार से अनुरोध किया है कि राजस्थान के सिंचाई विभाग द्वारा बिना सहमति के रोके गए पानी का प्रवाह पुनः सुचारू करने का प्रयास करें। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा केंद्र सरकार के जल शक्ति मंत्रालय के सामने भी उठाया जाएगा।
भूजल की स्थिति में सुधार जरूरी
भाजपा नेता ने आगरा में हरियाली और भूजल की स्थिति में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि गिरते जलस्तर की चिंता सबसे बड़ी है, और रेहावली बांध योजना इस दिशा में मददगार साबित हो सकती है।
राजा अरिदमन सिंह और सिविल सोसायटी के प्रतिनिधियों ने मिलकर यमुना नदी के जल प्रदूषण को कम करने और आगरा में जल संकट का समाधान निकालने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता पर बल दिया। इसके लिए सभी संबंधित अधिकारियों और संगठनों का सहयोग आवश्यक है।