प्रदीप यादव
एटा (जैथरा) । जनपद एटा के विकासखंड जैथरा की ग्राम पंचायत में ग्राम प्रधान और सचिव की मिली भगत से ग्रामीण भारत के अंतिम पायदान पर बैठे हुए व्यक्ति के लिए वरदान बनी मनरेगा योजना में गोलमाल किया जा रहा है।
योजना में वास्तविक मजदूरों को वंचित रखकर प्रधान के चहेते लोगों को काम दिया जा रहा है। चहेतों के खातों में मजदूरी का पैसा ट्रांसफर कर गरीब के मुंह का निवाला छीना जा रहा है। सरकार की मंशा भले ही व्यवस्थाओं में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से ऑनलाइन हाजिरी एवं जियो टैगिंग आदि की व्यवस्था की जा रही हो लेकिन जिम्मेदारों की अनदेखी से जरूरतमंद तक योजना का लाभ नहीं पहुंच पाता है।
शिकायतकर्ता ने बताया कि ग्राम पंचायत बिछंद पहाड़पुर में प्रधान ने अपने लोगों की जॉब कार्ड बना रखे हैं। 15 – 20 लोगों के खातों में मजदूरी का पैसा पहुंच रहा है। जिन लोगों के खाते में पैसा डाला जा रहा है वह कभी काम भी नहीं करते हैं। जिन लोगों से काम कराया जा रहा है उनका रोजगार सूची में नाम भी अंकित नहीं किया गया। ऑनलाइन हाजिरी में अपलोड की गई फोटो में 5- 6लोग ही काम करते नजर आ रहे हैं जबकि मजदूरी का भुगतान कई अन्य लोगों को किया जा रहा है। जिनके खातों से पैसा निकाल कर प्रधान और सचिव बंदर बांट कर रहे हैं।
ऐसे में सवाल उठता है कि ग्रामीण भारत में स्वावलंबन की दृष्टि से चलाई जा रही मनरेगा योजना की कितनी सार्थकता बच पाएगी ?