तथ्यों के बिना भ्रम फैलाना शिक्षा की सबसे बड़ी चुनौती – प्रो. गिरीश त्रिपाठी

MD Khan
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वाराणसी के पूर्व कुलपति प्रो. गिरीश चंद्र त्रिपाठी

पं. गंगाधर शास्त्री व्याख्यानमाला के तहत एकदिवसीय व्याख्यान का आयोजन

“शिक्षा तभी हमारे मस्तिष्क और हृदय में परिवर्तन ला सकेगी जब हम अपने आदर्श मूल्यों को अपनाएंगे। भारत का मूल दर्शन ‘वसुदेव कुटुम्बकम’ है,” यह विचार बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी के पूर्व कुलपति प्रो. गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने व्यक्त किए। वे आगरा कॉलेज, आगरा में आयोजित पंडित गंगाधर शास्त्री व्याख्यानमाला के मुख्य वक्ता थे, जहाँ उन्होंने शिक्षकों और छात्र-छात्राओं को संबोधित किया। इस व्याख्यान का विषय “भारतीय शिक्षा की गुणवत्ता एवं चुनौतियाँ” था।

प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि आज शिक्षा किसी की प्राथमिकता नहीं है, चाहे वह छात्र हो, शिक्षक हो, या सरकार। वही देश और समाज तरक्की करेगा जो शिक्षा को प्राथमिकता देगा। उन्होंने उल्लेख किया कि शिक्षा के समक्ष कई चुनौतियाँ हैं, जैसे परिवारों का विघटन और शिक्षा के क्षेत्र में केवल नौकरी की खोज में आए लोग। शिक्षा तभी सफल होगी जब इसमें आदर्श मूल्य शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने नैतिक मूल्यों की चिंता की है, लेकिन आज के युवा उच्च शिक्षा के बाद भी साधारण नौकरियों की तलाश में रहते हैं, जो कौशल और सामर्थ्य की कमी को दर्शाता है।

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प्रो गिरीश त्रिपाठी ।

प्रो. त्रिपाठी ने यह भी कहा कि तथ्यों के बिना भ्रम फैलाना शिक्षा की सबसे बड़ी चुनौती है। शिक्षा को खंड-खंड में न पढ़ाकर इसे एक समग्र दृष्टिकोण से पढ़ाया जाना चाहिए। विद्या का उपयोग वाद-विवाद, धन या शक्ति के अहंकार के लिए नहीं होना चाहिए। शिक्षा का सही उपयोग समाज को सुधारने में किया जाना चाहिए।

विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो. विजय श्रीवास्तव, आरबीएस कॉलेज के प्रचार्य ने कहा कि शिक्षा और उसकी गुणवत्ता को बनाए रखने का प्रश्न आज महत्वपूर्ण है। उन्होंने शिक्षकों को शिक्षा को एक व्यवसाय या नौकरी के बजाय जुनून और मिशन के रूप में अपनाने की सलाह दी। यह दृष्टिकोण ही शिक्षा की गुणवत्ता को बनाए रख सकता है।

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व्याख्यानमाला की अध्यक्षता आगरा कॉलेज के प्रचार्य प्रो. अनुराग शुक्ला ने की, जबकि संचालन हिंदी विभाग की अध्यक्ष प्रो. सुनीता रानी ने किया। इस आयोजन में प्रो. रचना सिंह, प्रो. डी. सी. मिश्र, प्रो. अमिता सरकार, डा. आनंद पांडे, प्रो. राजीव द्विवेदी, प्रो. सुनील यादव, प्रो. मीना कुमारी, प्रो. बी.के. शर्मा, प्रो. अमित अग्रवाल, प्रो. निशा राठौर, प्रो. रीता निगम, प्रो. शादां जाफरी, प्रो. के.पी. तिवारी, प्रो. अंशु चौहान, प्रो. आशीष कुमार, डा. अनुराधा नेगी, डा. संध्या मान, डा. अल्पना ओझा, डा. चंद्रवीर सिंह, डा. उमेश शुक्ला, डा. श्याम गोविंद, डा. शिवकुमार सिंह, डा. केशव सिंह, और डा. हेमराज चेतन गौतम सहित कई प्रमुख व्यक्ति उपस्थित रहे। अतिथियों ने माँ सरस्वती के चित्र के सामने दीप प्रज्वलित करके व्याख्यानमाला की विधिवत शुरुआत की।

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