प्रयागराज, उत्तर प्रदेश: संगम नगरी प्रयागराज स्थित स्वरूपरानी नेहरू (एसआरएन) अस्पताल की दयनीय हालत पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय (हाईकोर्ट) ने बेहद गंभीर टिप्पणी की है। न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने शुक्रवार को अपने आदेश में कहा कि एसआरएन अस्पताल मौजूदा समय में अस्पताल से कहीं अधिक मुर्दाघर कहा जा सकता है, और प्रयागराज पूरी तरह से मेडिकल माफियाओं के चंगुल में है।
दलालों के चंगुल में मरीज, सरकारी व्यवस्था ध्वस्त
कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज से संबद्ध एसआरएन अस्पताल बेहद दयनीय हालत में है। गरीब और असहाय मरीजों को दलालों द्वारा निजी अस्पतालों में घसीटा जा रहा है और उन्हें इस सरकारी मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में इलाज नहीं मिल रहा। कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि शहर के मेडिकल माफियाओं से सरकारी मेडिकल व्यवस्था को भयंकर खतरा है।
न्याय मित्रों की रिपोर्ट ने खोली पोल
यह गंभीर टिप्पणी दो न्याय मित्रों द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट को गंभीरता से लेते हुए की गई है। इन न्याय मित्रों ने एसआरएन अस्पताल का निरीक्षण किया और अस्पताल में सुविधाओं की कमी के साथ-साथ बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) में डॉक्टरों की अनुपस्थिति को रेखांकित करते हुए अपनी विस्तृत रिपोर्ट अदालत को सौंपी थी।
सुधार के निर्देश और सरकार को फटकार
न्यायालय ने एसआरएन की स्थिति में सुधार लाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए हैं। साथ ही, प्रदेश के प्रमुख सचिव को इस आदेश से राज्य सरकार को अवगत कराने और इसे मुख्य सचिव तथा जरूरत पड़ने पर मुख्यमंत्री के समक्ष रखने का भी निर्देश दिया है।
कोर्ट ने प्रयागराज में हाल ही में हुए महाकुंभ का जिक्र करते हुए कहा कि एसआरएन अस्पताल मेला क्षेत्र से महज एक किलोमीटर की दूरी पर है। सरकार के अनुमान के मुताबिक करीब 66.30 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई। “भगवान की कृपा से कोई अप्रिय घटना नहीं हुई, अन्यथा मरीजों के इलाज के लिए कोई चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं थी,” कोर्ट ने टिप्पणी की।
मेडिकल माफियाओं से साठगांठ और जनप्रतिनिधियों को फटकार
कोर्ट ने प्रथम दृष्टया यह भी पाया है कि निजी मेडिकल माफियाओं और एसआरएन अस्पताल के चिकित्सा अधिकारियों व कर्मचारियों के बीच साठगांठ है, जिससे इसका ढांचा और कार्यप्रणाली पूरी तरह पंगु हो गई है। न्यायालय ने प्रयागराज के जनप्रतिनिधियों को भी यह कहते हुए फटकार लगाई कि वे यहां के नागरिकों के कल्याण में कोई रुचि नहीं ले रहे हैं।
न्यायाधीश ने आश्चर्य व्यक्त किया कि उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल में प्रयागराज से मंत्री हैं, लेकिन उन्होंने इस अस्पताल की बिगड़ती हालत पर कोई ध्यान नहीं दिया है।
निजी प्रैक्टिस पर नजर, अगली सुनवाई 29 मई को
कोर्ट ने जिला मजिस्ट्रेट को अधिकारियों की एक टीम गठित करने का भी निर्देश दिया है, जो इस मेडिकल कॉलेज के उन प्रोफेसर, सहायक प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, रीडर और प्रवक्ता पर नजर रखेंगे जो निजी प्रैक्टिस में संलिप्त हैं। इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 29 मई की तारीख तय की गई है। इस आदेश के बाद प्रयागराज के स्वास्थ्य व्यवस्था में बड़े बदलाव की उम्मीद की जा रही है।