“प्रकृति का गला घोंटना बंद करें, विकास विनाश का कारण न बने”

Arjun Singh
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"प्रकृति का गला घोंटना बंद करें, विकास विनाश का कारण न बने"

आगरा, उत्तर प्रदेश: विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में, आगरा के ‘ट्री मैन’ त्रिमोहन मिश्रा ने यमुना आरती प्वाइंट से एक मार्मिक और गहरा संदेश दिया है। उन्होंने ‘ढोल का बाड़’ (वन क्षेत्र) और संपूर्ण प्रकृति को बचाने का आह्वान करते हुए चेतावनी दी कि यदि हम विकास के नाम पर प्रकृति का विनाश करते रहे, तो पृथ्वी का हश्र मंगल ग्रह जैसा हो सकता है।

‘विकास’ के नाम पर प्रकृति की ‘हत्या’ पर सवाल

त्रिमोहन मिश्रा, जिन्हें लोग ‘ट्री मैन’ के नाम से जानते हैं, ने अपनी बात रखते हुए कहा कि प्रकृति ने हमें वह सब कुछ पहले से दिया हुआ है, जो हम मनुष्य अपने तौर-तरीकों और आराम के लिए प्रकृति का गला घोंट कर इस्तेमाल करते आए हैं। उन्होंने सवाल उठाया, “सोचो अगर आपको एक कमरे में बंद कर दिया जाए जहां कोई ऑक्सीजन का स्रोत ही न हो, तब आप क्या करोगे? बिल्कुल ऐसा ही हो रहा शुरू से अब तक विकास के नाम पर प्रकृति की हत्या।”

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मिश्रा ने जोर दिया कि इस ‘विकास’ से हमें मुफ्त की सांस नहीं मिलेगी, बल्कि ऑक्सीजन सिलेंडर और स्टेशन पर पैसे देकर ही सांस लेनी पड़ेगी, जैसा कि कुछ जगहों पर अब भी हो रहा है। उन्होंने ‘ढोल का बाड़’ और वन क्षेत्रों का जिक्र करते हुए कहा कि इनका विकास इंसानों ने नहीं, बल्कि बेजुबान पशु-पक्षियों और जानवरों ने किया है। उन्होंने चेतावनी दी कि इंसान का दिमाग ‘कुछ ज्यादा ही विकसित’ हो चुका है और यही विकास, विनाश का कारण बन सकता है, जैसा कि मंगल ग्रह पर हुआ था।

बेजुबानों की ‘चीख’ और इंसान की मानसिकता

त्रिमोहन मिश्रा ने बेजुबान जीवों की ‘आवाज’ को समझने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “ये बेजुबान बोलते हैं पर आप समझ नहीं पाते। आप बस इनकी आवाज को विभिन्न ध्वनि की तरह सुनते हैं।” उन्होंने इन जीवों के दर्द को समझने की अपील की और कहा कि अगर हमें अपने घर से बेघर कर दिया जाए तो कैसा लगेगा, जबकि इन जानवरों का निवास उजाड़ा जा रहा है।

उन्होंने वर्तमान समाज की दिखावटीपन पर भी तंज कसा, जहां लोग सोशल मीडिया पर ‘दिखावा’ ज्यादा करते हैं, जबकि पशु-पक्षी और जानवर सोशल मीडिया चलाना नहीं जानते। उन्होंने कहा कि बेजुबान मनुष्य से ज्यादा पेड़ लगाते हैं, सहायता करते हैं और सफाई करते हैं, जो हमारी और उनकी पीढ़ी दोनों के लिए सुरक्षित होता आया है। उन्होंने अफसोस जताया कि इंसान के पास इतने व्यंजन होने के बावजूद जानवरों का हक छीनना चाहता है, और छीन भी रहा है। मिश्रा ने कहा कि हमारी बुद्धि का विकास जरूर हो गया है पर मानसिकता वही पुरानी है।

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‘ट्री मैन द पॉवर ऑफ अर्थ’ मुहिम और प्रकृति को बचाने का आह्वान

त्रिमोहन मिश्रा ने खुद को प्रकृति की आवाज बताया। उन्होंने कहा कि जन्म मेरी मां ने दिया, पर उससे पहले भी मेरी मां को भी किसी मां ने जन्म दिया होगा, तो पहली मां हमारी प्रकृति है, जिसकी गोद में हम हमेशा खेलते हैं और फिर से मिट्टी में मिल जाते हैं। उनका कार्य प्रकृति में हो रहे विनाश को रोककर फिर से हरा-भरा ग्रह बनाने का है।

उन्होंने अपनी इंटरनेशनल मुहिम “ट्री मैन द पॉवर ऑफ अर्थ” का भी जिक्र किया, जिसमें हर शहर का व्यक्ति उन्हें एक अच्छा कर्म करके अच्छा संदेश भेजता है और उनके साथ फ्री कोलैबोरेशन कर एक नई समाज का निर्माण करता है।

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विश्व पर्यावरण दिवस पर उन्होंने सभी से अपील की कि अपने घर के आस-पास सहायता, सफाई करें, एक पेड़ लगाएं और अपने घर के बाहर और छत पर जानवर, पशु-पक्षियों के लिए दाना-पानी रखें।

त्रिमोहन मिश्रा ने कहा कि हमें विकास के साथ प्रकृति का गला नहीं घोंटना चाहिए, वरना पृथ्वी मंगल ग्रह जैसी बन जाएगी। इसका सीधा अर्थ है विनाश। उन्होंने सभी से आह्वान किया कि आओ, साथ मिलकर सभी जीवों की सहायता करें, सफाई करें, पेड़ लगाकर अपनी पीढ़ियों को सुरक्षित करें और अपने असली प्राकृतिक धर्म को आगे बढ़ाने में मदद करें।

इस कार्य टीम में त्रिमोहन मिश्रा (ट्री मैन), गणेश शर्मा, एल.पी. प्रजापति, नितिन यादव, अंकित चौहान एवं अन्य कार्यकर्ता प्रेमी मौजूद रहे।

 

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