छटीकरा, मथुरा। जनपद मथुरा में गौशालाओं के प्रबंधन और खासकर भूसा खरीद में बड़े पैमाने पर गड़बड़झाले का मामला सामने आया है। जिलाधिकारी चंद्र प्रकाश सिंह के औचक निरीक्षण के दौरान यह सच्चाई सामने आई कि बाजार भाव से लगभग दोगुनी कीमत पर भूसा खरीद के टेंडर पास किए गए हैं, बावजूद इसके गौशालाओं में अभी तक भूसा का पर्याप्त स्टॉक नहीं किया गया है। जिलाधिकारी ने इस मामले की गहन जांच के आदेश दिए हैं।
चौमुहां गौशाला में उजागर हुआ ‘भूसा घोटाला’
बुधवार को जिलाधिकारी चंद्र प्रकाश सिंह ने चौमुहां की गौशाला का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने पाया कि गौशाला में गायों के लिए भूसा उपलब्ध नहीं था। जब जिलाधिकारी ने भूसा खरीद के संबंध में जानकारी ली तो यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि चौमुहां की गौशाला के लिए 11 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से भूसा खरीद का टेंडर कर दिया गया है। जबकि, वर्तमान में बाजार में भूसा पांच से छह रुपये प्रति किलोग्राम की दर पर प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है।
इस गंभीर अनियमितता पर संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी ने अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) पंकज वर्मा को निर्देशित किया कि वे इस मामले की तत्काल जांच करें कि टेंडर कैसे हुआ और इतनी अधिक कीमत पर भूसा क्यों खरीदा जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए कि 11 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से भूसा न खरीदा जाए। जिलाधिकारी ने अन्य गौशालाओं में भूसा खरीद की स्थिति और दरों पर भी रिपोर्ट मांगी है।
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भी मिली खामियां
गौशाला निरीक्षण से पहले, जिलाधिकारी ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) का भी औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने नौगांव से दवा लेने आई पार्वती नामक महिला से उसकी बीमारी और अस्पताल की व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी ली। उन्होंने महिला को अच्छे से दवा लेने और शीघ्र स्वस्थ होने का आशीर्वाद दिया और किसी भी परेशानी की स्थिति में अवगत कराने को कहा।
अस्पताल के विभिन्न अनुभागों का जायजा लेने के बाद जिलाधिकारी ने एमओआईसी (चिकित्सा अधिकारी इंचार्ज) संदीप चौधरी को फटकार लगाई, क्योंकि अस्पताल में साफ-सफाई की व्यवस्था ठीक नहीं मिली। उन्होंने तत्काल साफ-सफाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। इसके साथ ही, जिलाधिकारी ने प्रसव के लिए महिलाओं को प्रोत्साहित करने और ज्यादा से ज्यादा प्रसव अस्पताल में कराने पर जोर दिया। उन्होंने दवाओं का स्टॉक भी चेक किया और दवाओं की एक्सपायरी तिथियों का भी बारीकी से निरीक्षण किया।
जिलाधिकारी के इस औचक निरीक्षण से सरकारी विभागों में हड़कंप मच गया है और यह भ्रष्टाचार और लापरवाही पर नकेल कसने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।