एटा: जिले में पराली (फसल अवशेष) जलाने की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए प्रशासन ने सख्त रुख अख्तियार कर लिया है। उप कृषि निदेशक सुमित कुमार ने 5 अक्टूबर 2025 को जानकारी देते हुए बताया कि पराली जलाने पर अब भारी जुर्माना लगाया जाएगा और नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ विधिक कार्रवाई भी की जाएगी।
लाखों का जुर्माना और सख्त कानूनी कार्रवाई
उप कृषि निदेशक ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि पराली जलाते हुए पकड़े जाने पर किसानों से पर्यावरण क्षति प्रतिपूर्ति वसूली जाएगी। जुर्माने की दरें इस प्रकार निर्धारित की गई हैं:
उन्होंने बताया कि पुनरावृत्ति (दोबारा गलती करने) की स्थिति में दोषी किसानों के विरुद्ध विधिक कार्रवाई भी अमल में लाई जाएगी।
प्रशासन हुआ अलर्ट, निगरानी के लिए टीमें तैनात
जिलाधिकारी प्रेमरंजन सिंह ने पराली जलाने पर प्रभावी नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए राजस्व, कृषि और पुलिस विभाग सहित ब्लॉक, तहसील और जनपद स्तर के अधिकारियों को निगरानी ड्यूटी पर तैनात कर दिया है।
उप कृषि निदेशक ने किसानों से अपील की है कि:
मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई करके पराली को मिट्टी में दबाएँ।
पराली को गौशालाओं में दान करें।
फसल अवशेष प्रबंधन की अन्य वैज्ञानिक विधियाँ अपनाएँ।
कम्बाइन हार्वेस्टर पर भी होगी सख्ती
जिलाधिकारी ने कम्बाइन हार्वेस्टर संचालकों के लिए भी सख्त निर्देश जारी किए हैं। अब सभी कम्बाइन हार्वेस्टर संचालकों को सुपर एस.एम.एस. (Super Straw Management System) सिस्टम का प्रयोग करना अनिवार्य होगा। बिना इस सिस्टम के धान की कटाई करते पकड़े जाने पर हार्वेस्टर को मौके पर ही सीज कर थाने को सुपुर्द कर दिया जाएगा।
कृषि विभाग ने अंत में कड़ा संदेश दिया है कि पराली जलाने की घटना किसी भी समय सैटेलाइट से रिकॉर्ड हो सकती है। ऐसे में किसी भी दशा में पराली जलाना किसानों के लिए परेशानी का कारण बन सकता है।
