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कंगना रनौत मामले में कोर्ट में जोरदार बहस, 6 मई को आएगा आदेश

MD Khan
4 Min Read

आगरा: हिमाचल प्रदेश के मंडी क्षेत्र से भाजपा सांसद और फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत के खिलाफ चल रहे मामले में आज स्पेशल कोर्ट एमपी एमएलए अनुज कुमार सिंह की अदालत में दोनों पक्षों के वकीलों ने जोरदार बहस की। कंगना रनौत की ओर से सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता अनसूया चौधरी ने बहस की, जबकि वादी पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रमाशंकर एडवोकेट ने अपने तर्क रखे। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आदेश के लिए 6 मई 2025 की तारीख तय की है।

आज दोपहर 2:30 बजे से 4:00 बजे तक चली बहस में कंगना रनौत की अधिवक्ता अनसूया चौधरी ने अदालत में कई कानूनी बिंदुओं और तर्कों को प्रस्तुत करते हुए कहा कि अखबारों और न्यूज़ चैनलों में जो भी समाचार छपे हैं, वे कंगना द्वारा दिए गए बयान नहीं हैं। उन्होंने कहा कि कंगना ने तो कुछ अन्य न्यूज़ एजेंसियों और अखबारों में छपी खबरों के आधार पर ही बयान दिए थे, और छपी हुई खबरों के आधार पर किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।

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वहीं, वादी पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता रमाशंकर एडवोकेट ने कहा कि यदि नेताओं जैसे राहुल गांधी, दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और अन्य के खिलाफ अखबारों और न्यूज़ चैनलों के आधार पर एफआईआर दर्ज की जा सकती है या उन्हें कोर्ट में तलब किया जा सकता है, तो कंगना रनौत के मामले में ऐसा क्यों नहीं किया जा सकता?

कंगना की अधिवक्ता ने यह भी कहा कि कंगना ने कभी भी महात्मा गांधी और शहीदों का अपमान नहीं किया और न ही किसानों का अपमान किया। इस पर वादी पक्ष ने अदालत को बताया कि कंगना द्वारा इंस्टाग्राम पर की गई पोस्ट को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और भाजपा के कई नेताओं ने तीखी आलोचना की थी। देश के कई इतिहासकारों, साहित्यकारों और विद्वानों ने कंगना से महात्मा गांधी पर की गई टिप्पणी के लिए पद्मश्री वापस लेने की मांग की थी। किसानों के अपमान के मामले में वादी पक्ष ने अदालत को बताया कि कंगना ने अगस्त 2020 से दिसंबर 2021 तक धरने पर बैठे किसानों को हत्यारा, बलात्कारी और अलगाववादी बताया था।

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इस पर कंगना की अधिवक्ता अनसूया चौधरी ने कहा कि कंगना ने 2014 में भारतीय जनता पार्टी के घोषणापत्र से प्रभावित होकर यह बयान दिया था। वादी पक्ष के अधिवक्ता रमाशंकर एडवोकेट ने अनसूया चौधरी से पूछा कि क्या भाजपा के घोषणापत्र में लिखा था कि देश को आजादी 2014 में मिली? क्या यह लिखा था कि शहीदों ने अपनी शहादत भीख के लिए दी थी? इस पर अनसूया चौधरी के पास कोई जवाब नहीं था।

लगभग डेढ़ घंटे तक चली जोरदार बहस के दौरान अदालत ने कई बार कंगना की अधिवक्ता को टोका और उनसे तथ्यों पर बात करने के लिए कहा। अदालत ने कहा कि कंगना की ओर से कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया। अंत में अदालत ने बहस सुनने के बाद 6 मई 2025 को आदेश की तारीख तय कर दी।

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वादी पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुर्ग विजय सिंह, सुरेंद्र लखन राम दत्त दिवाकर, बी. एस. फौजदार, सुमंत चतुर्वेदी, राममोहन शर्मा, नौशाद अहमद, आर. एस. मौर्य, नवीन वर्मा, उमेश जोशी सहित लगभग तीन दर्जन से अधिक अधिवक्ता उपस्थित थे।

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