विवेकानंद विचार दर्शन सचल पुस्तकालय का उद्घाटन
आगरा। रामकृष्ण मठ, पुणे एवं श्री रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम, वृंदावन के संयुक्त तत्वावधान में एक सचल पुस्तकालय “स्वामी विवेकानंद विचार दर्शन” के नाम से स्वामी विवेकानंद के साहित्य को लेकर आज से 2 दिसंबर तक छात्राओं के बीच में स्वामी विवेकानंद के साहित्य को प्रचारित करेगा। प्रथम दिन इस सचल प्रदर्शनी का शुभारंभ बुधवार को आगरा कॉलेज में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. अनुराग शुक्ला ने फीता काटकर किया।
इस अवसर पर पंडित गंगाधर शास्त्री स्मृति व्याख्यानमाला के अंतर्गत एक व्याख्यान का भी आयोजन किया गया, जिसमें “स्वामी विवेकानंद एवं युवाओं में उनका संदेश” विषय पर सिंबोयसिस कॉलेज आफ आर्ट्स एंड कमर्स, पुणे के प्रो शिरीष लिमये ने उपस्थित छात्र-छात्राओं को स्वामी विवेकानंद के जीवन एवं उनके प्रेरणादाई विचारों से परिचित कराया। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद के विचार, युवाओं के मन में व्याप्त नकारात्मकता को समाप्त करते हैं। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी मानते थे कि स्वामी विवेकानंद के विचारों को पढ़कर उनकी राष्ट्रभक्ति 100 गुना हो गई। उन्होंने उपस्थित विद्यार्थियों से कभी भी अपने चरित्र से समझौता नहीं करने की बात कही और कहा कि अपनी कमजोरियों और अच्छाइयों को पहचानने का प्रयास करें।
प्राचार्य प्रो. अनुराग शुक्ला ने बोलते हुए कहा कि स्वामी विवेकानंद ने कठोपनिषद् के एक प्रसिद्ध मंत्र उति्तष्ठित, जागृत, प्राप्यवरान्निबोधत को युवाओं के सन्मार्ग नियोजन हेतु बड़ी सुंदरता से लक्ष्य प्राप्ति तक नहीं रुकने का नारा दिया था।
व्याख्यानमाला का संयोजन एवं संचालन हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. सुनीता रानी ने किया। अतिथियों का स्वागत प्रो. गौरांग मिश्रा, प्रो. अमित अग्रवाल, प्रो. बीके शर्मा, डा. चंद्रवीर सिंह आदि ने किया। व्याख्यामाला के दौरान एनसीसी, एनएसएस व विभिन्न विभागों के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
इस अवसर पर प्रो. मनोज रावत, प्रो. दीपा रावत, प्रो .रचना सिंह, प्रो. शादां जाफरी, डा. संध्या मान, डा. अल्पना ओझा, प्रो. केपी तिवारी, प्रो. सुनीता गुप्ता, प्रो. रीता निगम, डा. आभा शर्मा, प्रो. अंशु चौहान, प्रो. आशीष कुमार, डा. श्याम गोविंद, प्रो. नीरा शर्मा, डा. अनुराधा नेगी, प्रो. कमलेश शर्मा, डा. जिनेश कुमार, डा. शिवकुमार सिंह, डा. बीके अग्रवाल, डा. अनिल सिंह, डा. महेंद्र सिंह आदि मुख्य रूप से उपस्थित रहे।
इस दौरान रामकृष्ण मठ, पुणे के सुभाष वासु एवं वीरेंद्र यादव का विशेष सहयोग रहा।