Succrss Story, सहारनपुर: एक इंजीनियर के परिवार में जन्मे बच्चे ने खुद भी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और फिर विदेश की बड़ी कंपनियों में लाखों के पैकेज पर नौकरी करने लगा। लेकिन एक दिन उनके मन में एक सवाल उठा, “क्या मैं सिर्फ पैसे के लिए काम कर रहा हूँ या जनता की सेवा भी कर सकता हूँ?” यह सवाल उन्हें बेचैन कर रहा था। उन्होंने अपने माता-पिता से अपने इस विचार को साझा किया, तो उन्होंने अपने बेटे का हौसला बढ़ाया और उसे पूरा समर्थन दिया।
माता-पिता के आशीर्वाद और अपनी कड़ी मेहनत के दम पर उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा दी और सफल भी हुए। लेकिन उन्हें अभी भी खाकी वर्दी पहनने का अपना अधूरा सपना पूरा करना था। उन्होंने भारतीय राजस्व सेवा (IRS) में असिस्टेंट कमिश्नर का पद प्राप्त किया, लेकिन उनका मन नहीं माना। प्रशिक्षण के दौरान ही उन्होंने फिर से यूपीएससी की परीक्षा दी और इस बार भी सफलता हासिल की, पहले से बेहतर रैंक के साथ। इस बार उन्हें भारतीय पुलिस सेवा (IPS) में चयन मिला और उनका खाकी पहनने का सपना पूरा हो गया।
प्रशिक्षण के बाद, उन्हें वाराणसी में ASP के पद पर तैनात किया गया। उसी समय देश में लोकसभा चुनाव हो रहे थे, और वाराणसी सीट से मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव लड़ रहे थे। आशीष तिवारी ने इस चुनाव को सफलतापूर्वक संपन्न कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
यह कहानी है पश्चिमी यूपी के सहारनपुर जिले के वर्तमान एसएसपी आशीष तिवारी की। आइए, खोजी न्यूज़ की इस स्पेशल स्टोरी में उनकी सफलता की कहानी पर एक नजर डालते हैं।
एक साधारण परिवार का असाधारण सफर
मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम जिले की तहसील इटारसी में 26 अगस्त 1983 को कैलाश नारायण तिवारी और सरोज तिवारी के घर आशीष का जन्म हुआ। उनके पिता एक इंजीनियर थे और उनकी माता एक गृहिणी। पिता की नौकरी के कारण आशीष की शुरुआती पढ़ाई झांसी में हुई, जिसके बाद उन्होंने केंद्रीय विद्यालय इटारसी से हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की। दोनों परीक्षाओं में उन्होंने शानदार अंक प्राप्त कर प्रथम श्रेणी हासिल की।
इंटरमीडिएट के बाद, आशीष ने आईआईटी खड़गपुर से कंप्यूटर साइंस में बीटेक और एमटेक की डिग्री प्राप्त की। वर्ष 2007 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्हें लंदन की ‘लेहमन ब्रदर्स’ कंपनी में इन्वेस्टमेंट बैंकर की नौकरी मिली, जहाँ उनका सैलरी पैकेज लाखों में था। इसके बाद, उन्होंने जापान की ‘नोमुरा बैंक’ में एक्सपर्ट एनालिस्ट के रूप में काम किया।
कमिश्नर की नौकरी छोड़ IPS बने
इतनी अच्छी नौकरी होने के बावजूद, आशीष के मन में देश सेवा का जज्बा था। उन्होंने अपने परिवार से यूपीएससी की तैयारी करने की इच्छा जाहिर की। उनके माता-पिता ने उनका पूरा समर्थन किया।
आशीष ने विदेश से लौटकर पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दी और अपने पहले प्रयास में ही 330वीं रैंक हासिल की। इस रैंक के साथ, उन्हें भारतीय राजस्व सेवा (IRS) में असिस्टेंट कमिश्नर का पद मिला। लेकिन उनके दिल में आईपीएस बनने की चाह बाकी थी। नागपुर में 9 महीने के प्रशिक्षण के दौरान भी उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी। वर्ष 2011 में उन्होंने दोबारा यूपीएससी की परीक्षा दी और इस बार 219वीं रैंक हासिल कर 2012 बैच के आईपीएस अफसर बन गए।
देश के लिए सेवा का सफर
आईपीएस बनने के बाद, आशीष तिवारी की पहली पोस्टिंग वाराणसी में ASP के तौर पर हुई। इसके बाद, उन्होंने वाराणसी में एडिशनल एसपी के रूप में भी काम किया। 2017 में भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद, उन्हें मिर्जापुर जिले का पुलिस कप्तान बनाया गया।
मिर्जापुर के अलावा, आशीष तिवारी इटावा, अयोध्या, फिरोजाबाद, एटा और जौनपुर जैसे जिलों में भी पुलिस कप्तान रह चुके हैं। फिलहाल, वे सहारनपुर के एसएसपी के रूप में कार्य कर रहे हैं। वे उत्तर प्रदेश विशेष सुरक्षा बल (SSF) के पहले कमांडेंट भी रह चुके हैं, और झांसी व आगरा सेक्टर के एसपी जीआरपी भी रहे हैं।
राम मंदिर फैसले के दौरान अयोध्या में शांति व्यवस्था
जब अयोध्या में राम मंदिर पर फैसला आया, तब आशीष तिवारी अयोध्या के पुलिस कप्तान थे। उन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर ऐसी शानदार व्यवस्था बनाई कि पूरे जिले में शांति का माहौल बना रहा और किसी भी तरह की अप्रिय घटना नहीं हुई। उनकी कुशल पुलिसिंग की हर तरफ सराहना हुई।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मिली पहचान
आशीष तिवारी ने 2024 में अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से फुल फेलोशिप पर लोक प्रशासन में मास्टर डिग्री प्राप्त की। उन्हें उनकी शानदार पुलिसिंग के लिए कई बड़े सम्मानों से नवाजा जा चुका है। इनमें IACP USA अंडर 40 ग्लोबल पुलिस लीडर सम्मान, FICCI स्मार्ट पुलिस ऑफिसर अवॉर्ड, स्कॉच अवॉर्ड, जीफाइल्स गवर्नेंस अवॉर्ड, और गोल्ड, सिल्वर व प्लेटिनम तीनों स्तर के डीजीपी के प्रशंसा पत्र शामिल हैं।
इसके अलावा, उन्हें हार्वर्ड विश्वविद्यालय में ‘एआई फॉर गुड हैकाथॉन’ (अप्रैल 2025) में मेघालय ई-गवर्नेंस माव केन्द्रित सहायता परियोजना के लिए प्रथम पुरस्कार भी मिला।
आशीष तिवारी की यह कहानी उन युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए किसी भी मुश्किल का सामना करने के लिए तैयार हैं। उनकी सफलता यह दर्शाती है कि दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत से हर लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।