प्रतापगढ़, विशाल त्रिपाठी। जिलाधिकारी शिव सहाय अवस्थी द्वारा आज (14 मई 2025) नगर पालिका परिषद बेल्हा के औचक निरीक्षण से कार्यालय के अधिकारी और कर्मचारियों में अफरा-तफरी मच गई। डीएम ने कार्यालय के विभिन्न पटलों के कामकाज, फाइलों, उपस्थिति रजिस्टर, डिस्पैच रजिस्टर, डाक रजिस्टर, शिकायती रजिस्टर, वरासत के प्रार्थना पत्रों की फाइलों, जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र रजिस्टर, कैशबुक, विभिन्न योजनाओं के भुगतान संबंधी फाइलों और निर्माण कार्यों से संबंधित फाइलों का गहन निरीक्षण किया।
निरीक्षण के दौरान उपस्थिति रजिस्टर में पाया गया कि नगर पालिका के ईओ (अधिशासी अधिकारी) द्वारा उपस्थिति पंजिका को सत्यापित नहीं किया गया था और 6 कर्मचारी – महेश चन्द्र तिवारी, अजीत कुमार सरोज, भूपेन्द्र कुमार सिंह, ओम प्रकाश शुक्ल, शशांक श्रीवास्तव और संतोष कुमार शर्मा – अनुपस्थित पाए गए, जिस पर डीएम ने तत्काल इन अनुपस्थित कर्मचारियों को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया।
शिकायती रजिस्टर के अवलोकन में पाया गया कि कई महीनों से शिकायती प्रार्थना पत्रों को रजिस्टर में दर्ज नहीं किया गया था और न ही ईओ नगर पालिका द्वारा समय-समय पर उसका अवलोकन किया गया था। इस लापरवाही पर डीएम ने ईओ नगर पालिका को कड़ी फटकार लगाई और उनके कार्यों के प्रति अपनी नाराजगी व्यक्त की।
जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र के रजिस्टर पर अंकन हेतु प्राप्त प्रार्थना पत्र की तिथि और जारी करने की तिथि का सही कॉलम न बनाए जाने पर ईओ द्वारा घोर लापरवाही बरती गई। सीआरएस पोर्टल की जांच करने पर पाया गया कि कितने आवेदन पत्र प्राप्त हुए और कितने निस्तारित हुए, इसका न तो रजिस्टर में कोई उल्लेख था और न ही पोर्टल पर कोई सूचना उपलब्ध थी। इस पर डीएम ने मुख्यालय स्तर पर प्रमुख सचिव नगर विकास, पंचायती राज और चिकित्सा को पत्र भेजने का निर्देश दिया ताकि बैठक कराकर सीआरएस पोर्टल की कमियों को दूर किया जा सके।
वरासत से संबंधित फाइलों को पटल सहायक अनिल शुक्ला से मंगवाकर एक-एक प्रार्थना पत्र की गहन जांच की गई। जांच में पाया गया कि वर्ष 2020 से वरासत के कई प्रार्थना पत्र लंबित थे और कई प्रार्थना पत्र ऐसे थे जिनमें जिस दिन प्रार्थना पत्र प्राप्त हुआ, उसी दिन नोटिस जारी कर दी गई, जबकि कई वर्ष पुराने मामलों में नोटिस भी जारी नहीं हुई थी। कुछ फाइलें ऐसी पाई गईं जिनमें अध्यक्ष का अनुमोदन नहीं था, जिससे घोर लापरवाही प्रतीत हुई। वरासत के संबंध में कोई भी रजिस्टर नहीं बना था, जिससे भ्रष्टाचार की आशंका हुई और शासकीय कार्यों में अधिकारी व पटल सहायक की संलिप्तता पाई गई, जिनकी एजेंसियों के माध्यम से जांच कराने का निर्देश दिया गया और तत्काल फाइलों को सीज करने का आदेश मजिस्ट्रेट को दिया गया।
वेतन पंजिका रजिस्टर में पाया गया कि 14 मई 2025 तक कर्मचारियों के वेतन निकालने की कार्रवाई नहीं की गई थी। विभिन्न रजिस्टरों में संबंधित अधिकारी और अध्यक्ष द्वारा अवलोकन नहीं किया गया था। कार्यालय की अलमारियों को खुलवाकर विभिन्न फाइलों को देखा गया, जिनमें पुराने रिकॉर्ड भरे हुए पाए गए, जिनका कोई लेखा-जोखा भी नहीं था और उनका अनुपालन भी नहीं किया गया था, और वर्तमान अध्यक्ष के समक्ष कोई भी फाइल प्रस्तुत नहीं की गई थी। डीएम ने फाइलों को सुव्यवस्थित तरीके से रखने के निर्देश दिए। निर्माण कार्यों की फाइलों की जांच में भुगतान लंबित पाए गए और कोर्ट केस की फाइलों का भी अवलोकन किया गया।
इस दौरान मौके पर उपस्थित शिकायतकर्ताओं ने जन्म व मृत्यु प्रमाण पत्र, साफ-सफाई और वरासत आदि के कार्यों में प्रार्थना पत्र देने के बावजूद कार्रवाई न होने की शिकायत की, जिस पर जिलाधिकारी ने ईओ नगर पालिका को निर्देशित किया कि वर्षा के दौरान किसी के घरों में पानी न भरे, अन्यथा की स्थिति में कड़ी कार्रवाई की जाएगी।