निलंबित सिपाही ने राजीनामे के बदले वसूला सुविधा शुल्क, बसें चलाने के लिए 20 हजार रुपये मासिक की मांग का आरोप

Jagannath Prasad
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पीड़ित बस मालिक ने एसीपी को प्रार्थनापत्र देकर कार्रवाई की मांग की

आगरा। आगरा जनपद में बेहतर पुलिसिंग सुनिश्चित करने के लिए शासन ने कमिश्नरेट प्रणाली लागू की थी। थानों और चौकियों में फोर्स की संख्या बढ़ाई गई और उन्हें सभी जरूरी सुविधाएं मुहैया कराई गईं। इसके बावजूद, पुलिसकर्मियों की हरकतों से विभाग की साख लगातार प्रभावित हो रही है।ताजा मामला थाना किरावली से जुड़ा है। बस मालिक नासिर, जिनकी खेरागढ़ से अछनेरा तक निजी बसें चलती हैं, ने बसों के संचालन के लिए किरावली निवासी राजेश को नियुक्त किया है। बीते शुक्रवार को किरावली चौराहे पर नासिर की बस से एक टेंपो चालक ने सवारी उतारकर अपने टेंपो में बैठा ली, जिससे राजेश और टेंपो चालक के बीच विवाद हो गया। सूचना मिलने पर पुलिस ने दोनों पक्षों को थाने बुलाया।बस मालिक नासिर ने एसीपी किरावली को प्रार्थनापत्र में आरोप लगाया कि थाने में तैनात एक निलंबित सिपाही ने दबाव डालकर राजीनामे के एवज में ₹1500 की मांग की। इसके अलावा, सिपाही ने यह भी कहा कि यदि रोड पर बसें चलानी हैं, तो हर महीने 20 हजार रुपये देने होंगे।पीड़ित बस मालिक ने शनिवार को एसीपी को प्रार्थनापत्र देकर मामले की जानकारी दी। सूत्रों के अनुसार, एसीपी ने मामले का तत्काल संज्ञान लेकर पुलिसकर्मियों को फटकार लगाई और निलंबित सिपाही के थाने में उपस्थित रहने की जांच का आश्वासन दिया। हालांकि, एसीपी किरावली से इस संबंध में संपर्क करने पर उनका फोन रिसीव नहीं हो सका।

पुलिस की इस हरकत से उठने वाले सवाल:

1. निलंबित सिपाही थाने में कैसे मौजूद था?
एक निलंबित पुलिसकर्मी को थाने में रहने की अनुमति किस आधार पर दी गई, और यह किसकी लापरवाही है?

2. भ्रष्टाचार का यह मामला क्यों नहीं रोका गया?
ऐसे मामलों में बार-बार आरोप लगने के बावजूद, उच्च अधिकारियों द्वारा प्रभावी कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है?

3. पुलिस विभाग की निगरानी व्यवस्था पर सवाल
क्या विभागीय निगरानी प्रणाली इतनी कमजोर है कि निलंबित पुलिसकर्मी खुलेआम भ्रष्टाचार कर रहे हैं?

4.पुलिस की छवि पर प्रभाव
आगरा जैसे महत्वपूर्ण शहर में पुलिसकर्मियों द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार से जनता के बीच पुलिस की छवि पर क्या प्रभाव पड़ रहा है?

5.पीड़ित के साथ न्याय कैसे सुनिश्चित किया जाएगा?

इस मामले में पीड़ित बस मालिक को न्याय दिलाने के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे, और भविष्य में ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति रोकने के लिए क्या सुधार किए जाएंगे?अग्रभारत समाचार पत्र की वेब पर आप अपने सुझाव कमेंट कर साझा कर सकते हैं।

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