आगरा: ताज लिटरेचर क्लब ने 1 जनवरी 2025 को आंग्ल नव वर्ष के अवसर पर एक विशेष आयोजन किया। क्लब कार्यालय, बेलनगंज में आयोजित इस कार्यक्रम में नव वर्ष की शुरुआत सरस्वती पूजा एवं काव्य संध्या से की गई। इस अवसर पर समाज के कई प्रमुख साहित्यकार और कवि उपस्थित रहे, जिन्होंने अपनी कविता और विचारों से कार्यक्रम को और भी गौरवान्वित किया।
कार्यक्रम की शुरुआत
कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि ब्रजेश शर्मा, संस्था के संस्थापक इंजीनियर राजकुमार शर्मा, लालाराम तैगोरिया, और अध्यक्ष भावना वरदान शर्मा द्वारा मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलित करके की गई। इस धार्मिक और साहित्यिक आयोजन में साहित्य के प्रति एक अलग ही श्रद्धा और आदर का वातावरण था।
काव्य पाठ और कवियों की प्रस्तुतियां
कार्यक्रम में बाल कवयित्री माही ने ‘शिव तांडव’ प्रस्तुत किया, जो दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर गया। इसके बाद, ब्रजभाषा के वरिष्ठ कवि डॉ. राम प्रकाश चतुर्वेदी ने ब्रजभाषा में छंद प्रस्तुत किए, जो श्रोताओं द्वारा बेहद सराहे गए। इसके अतिरिक्त, सुप्रसिद्ध कवि अंगद धारिया और कवयित्री अनुपमा दीक्षित ने भी अपनी कविताओं से वातावरण को और भी जीवंत किया। उनकी प्रस्तुतियां श्रोताओं के दिलों को छू गईं।
अनुपमा दीक्षित की भावपूर्ण कविताएं
कवयित्री अनुपमा दीक्षित ने अपनी कविता ‘ताटंक छंद पर प्रयास’ सुनाई, जो महिलाओं के आत्मसम्मान और संघर्ष को बयां करती है। उनकी भावनाओं से भरी हुई पंक्तियों ने श्रोताओं को गहरी संवेदनाओं से जोड़ दिया। अनुपमा ने कहा:
“लिखती थी श्रृंगार आज तक, और नहीं लिख पाऊँगी।
गीतों में नारी की व्यथा अब, खुलकर मैं गा पाऊँगी।
चेहरे पर मुस्कान सजाकर, झूठा ढोंग नहीं होगा।
स्त्री को लज्जित करने वाला, कोई खेल नहीं होगा।”
इसके अलावा, अनुपमा दीक्षित ने एक और कविता “जिसको भूल जमाना जाए” प्रस्तुत की, जो महिलाओं के आत्मसम्मान और संघर्ष को बखूबी प्रदर्शित करती है:
“इज्जत खातिर मैं मिट जाऊं, औरत हूँ लाचार नहीं हूँ।
मेरे अहसासों को पढ़ लो, मैं बासी अखबार नहीं हूँ।”
सुप्रसिद्ध कवि अंगद धारिया की प्रस्तुति
सुप्रसिद्ध हिंदी कवि डॉ. अंगद सिंह धारिया ने भी अपने चिर-परिचित अंदाज में गीत और कविताएं प्रस्तुत की। उनकी कविता “घर घर दीये घीये के बांटे” ने श्रोताओं का दिल छू लिया। उनकी यह प्रस्तुति इस बात की ओर इशारा करती है कि कई बार हमें दूसरों की अपेक्षाओं का सामना करना पड़ता है:
“घर घर दीये घीये के बांटे, ताकि उजाला हर घर हो,
किन्तु वही घर वारे मुझको अंधियारे दे जाते हैं।
मेरी नादानी पर हंसते, इठलाते हैं खड़े खड़े,
एक हम हैं, उनकी बातों को, हंसते हंसते सह जाते हैं।”
कार्यक्रम में उपस्थित प्रमुख व्यक्ति
इस काव्य संध्या में गौरव शर्मा, अलका सिंह शर्मा, अजय कौशल, ओमप्रकाश अग्रवाल, महक, शरद जैन, जगन प्रसाद तेहरिया, प्रमोद उपाध्याय, टोनी फास्टर, के लाल, नरेन्द्र शर्मा जैसे प्रमुख लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन संस्था के महासचिव सुरेश शर्मा ने किया।
मुख्य अतिथि का संबोधन
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ समाजसेवी ब्रजेश शर्मा ने कहा कि साहित्य का अर्थ समाज को समृद्ध करना है और साहित्यकार पर यह दायित्व है कि वह सामाजिक और नैतिक मूल्यों को जनमानस में प्रचलित करें, जिसमें महिला सम्मान सर्वोपरि है। उन्होंने ताज लिटरेचर क्लब की सराहना करते हुए कहा कि यह संस्था साहित्य की उन्नति के लिए निरंतर कार्य कर रही है।
अलका सिंह शर्मा ने भी कहा कि ताज लिटरेचर क्लब ने न केवल प्रदेश के साहित्यिक जगत को समृद्ध किया है, बल्कि यह नवोदित साहित्यकारों को एक मंच प्रदान कर रहा है, जो निश्चित रूप से प्रेरणादायक है।
संस्था का योगदान
ताज लिटरेचर क्लब ने पिछले 10 वर्षों में कई महत्वपूर्ण कार्यक्रमों का आयोजन किया है और साहित्यिक क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है। क्लब ने देशभर के कवियों और लेखकों को मंच प्रदान किया है, जिससे आगरा का साहित्यिक परिदृश्य और भी समृद्ध हुआ है।
ताज लिटरेचर क्लब का यह आयोजन साहित्य प्रेमियों के लिए एक प्रेरणा है, जो साहित्य के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए काम कर रहे हैं। क्लब की सक्रियता और समर्पण साहित्यिक दुनिया में अपना एक अहम स्थान बना चुका है। इस कार्यक्रम के माध्यम से न केवल कवियों और लेखकों को प्रेरित किया गया, बल्कि समाज में महिला सम्मान और सामाजिक मूल्य की आवश्यकता को भी उजागर किया गया।