आगरा में आवारा गोवंश का आतंक: मुख्यमंत्री के आदेश बेअसर, पशु कल्याण अधिकारी पर गंभीर आरोप

Rajesh kumar
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बोदला सिकंदरा रोड पर घंटे आवारा गौवंश

आगरा: उत्तर प्रदेश सरकार ने आवारा गोवंश से निजात दिलाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर शहर से लेकर देहात तक गौशालाओं का निर्माण करवाया है, लेकिन आगरा शहर में स्थिति जस की तस बनी हुई है। भीड़भाड़ वाले चौराहों और कॉलोनियों में आवारा गोवंश खुलेआम घूमते नजर आते हैं, जिससे राहगीरों और आम जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कई बार इन गोवंश को गौशालाओं में पहुंचाने के निर्देश दे चुके हैं, लेकिन नगर निगम में तैनात पशु कल्याण अधिकारी पर इन आदेशों की अनदेखी करने और अन्य कार्यों में ज्यादा रुचि लेने के गंभीर आरोप लग रहे हैं।

“घोटाला” या “अनदेखी”: कहां जा रहा आवारा गोवंश?

शहर में जिधर देखो उधर आवारा गोवंश नजर आते हैं, जिससे यह सवाल उठ रहा है कि आखिर गौशालाओं में कौन से आवारा गोवंश रखे जा रहे हैं। लोगों को आशंका है कि कहीं आवारा गोवंश की आड़ में गौशालाओं में संख्या बढ़ाकर सिर्फ घोटाले को अंजाम तो नहीं दिया जा रहा है। ये आवारा गोवंश कई बार आम जनमानस को नुकसान भी पहुंचा चुके हैं, लेकिन नगर निगम के नगर पशु कल्याण अधिकारी को यह सब दिखाई नहीं देता।

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बताया जाता है कि उनकी मूल ड्यूटी आवारा पशुओं को नियंत्रित करने की है, लेकिन अधिकारियों ने उनको जो अतिरिक्त पॉलिथीन और अतिक्रमण के कार्य दिए हैं, उनमें वह ज्यादा रुचि लेते हैं। इसी का नतीजा है कि मुख्यमंत्री के आदेशों का पालन भी शहर में नहीं हो रहा है, और कभी भी कोई बड़ी जनहानि होने का डर बना रहता है।

बोदला चौराहे पर दिखा नजारा: जाम के बीच गोवंश का झुंड

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ऐसा ही नजारा हाल ही में बोदला चौराहे पर देखने को मिला, जहाँ शाम के वक्त जाम के समय आवारा गोवंश चौराहे से निकलते नजर आए। उस समय लगे जाम में फंसे लोग भी आवारा गोवंश को देखकर खुद को बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे। बताया जाता है कि पशु कल्याण अधिकारी के नेतृत्व में आवारा पशुओं को उठाने के लिए नगर निगम का वाहन तो रोजाना सड़कों पर दिखाई देता है, लेकिन यह वाहन कौन से आवारा पशुओं को उठाता है, यह किसी को जानकारी नहीं है।

अतिरिक्त जिम्मेदारियों में उलझे अधिकारी, मूल कार्य उपेक्षित

नगर पशु कल्याण अधिकारी के अधीन आवारा पशुओं आदि की जिम्मेदारी है, लेकिन उन पर विश्वास जताते हुए उन्हें पॉलिथीन और अतिक्रमण हटाने की जिम्मेदारी अतिरिक्त रूप में दे रखी है। आरोप है कि उनका पूरा ध्यान इसी अतिरिक्त कार्य पर रहता है। हालांकि, यदि पॉलिथीन मुक्त शहर की बात करें, तो आज तक उनकी कार्रवाई से आगरा शहर का कोई क्षेत्र या मार्केट ऐसा नहीं है जहाँ पॉलिथीन का प्रयोग न हो रहा हो।

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एमजी रोड पर पुष्पक मिष्ठान भंडार के आगे होता अतिक्रमण

अतिक्रमण पर भी नजर डालें, तो कार्रवाई के बाद वह फिर दोबारा से होता दिखाई देता है। इस अतिरिक्त कार्य के लिए उन्हें प्रवर्तन दल में सेवानिवृत्त फौजी कर्मचारी भी दिए गए हैं, लेकिन नतीजा “ढाक के तीन पात” जैसा है।

अब देखना होगा कि नगर पशु कल्याण अधिकारी आवारा गोवंश को लेकर क्या कार्रवाई करते हैं या फिर इसी तरह मुख्यमंत्री के आदेशों की धज्जियां उड़ाते रहेंगे। यदि गौशालाओं की जांच होती है, तो निश्चित ही गायों की संख्या को लेकर गौशाला संचालक और प्रभारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो सकती है।

नगर आयुक्त को देना होगा ध्यान

नगर आयुक्त अंकित खंडेलवाल को इस ओर ध्यान देना होगा, जिससे आम जनमानस को आवारा गोवंश से नुकसान न हो, और मुख्यमंत्री के आदेशों का पालन शहर में सख्ती से हो सके।

श्वानों की नसबंदी और वैक्सीन पर भी सवाल

पिछले सदन में पार्षदों ने श्वानों की नसबंदी की जांच की मांग की थी, जिसके लिए नगर आयुक्त और महापौर द्वारा एक कमेटी गठित की गई थी। लेकिन, आज तक इस कमेटी ने न तो अपनी जांच आख्या दी और न ही शहर के लोगों को इसकी जानकारी हुई कि आखिर नगर पशु कल्याण अधिकारी के नेतृत्व में कितने श्वानों की नसबंदी की गई है। इसमें लाखों रुपये खर्च किए गए थे, और अब एक बार फिर शहर भर में नसबंदी का कार्य लाखों रुपये खर्च करके करवाया जा रहा है।

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इसी तरह, नगर पशु कल्याण अधिकारी अजय सिंह यादव के नेतृत्व में शहर भर में श्वानों के वैक्सीनेशन पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। न तो पार्षदों को पता है और न ही आम जनता को कि कौन-कौन से श्वानों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है। जनता सिर्फ इतना जानती है कि यदि उसे किसी आवारा श्वान ने काट लिया, तो उसे तुरंत वैक्सीन लगवानी है। वैक्सीन के कार्य में भी लाखों रुपये खर्च किए गए थे, लेकिन पिछले साल की जांच पूरी नहीं हुई, जबकि इस साल भी वैक्सीन का काम शुरू हो गया है।

शहर कब होगा अतिक्रमण मुक्त?

शहर भर की बात करें, तो अतिक्रमण ही अतिक्रमण दिखाई देता है। अब तो नगर निगम की लापरवाही से फुटपाथों पर भी अतिक्रमण दिखने लगा है। इससे साफ होता है कि नगर निगम में तैनात प्रवर्तन दल और अतिक्रमण प्रभारी अतिक्रमण के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर रहे हैं, जबकि जनता शहर भर में हो रहे अतिक्रमण से लगातार परेशानी का सामना कर रही है।

 

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