Advertisement

Advertisements

गाजीपुर की 200 साल पुरानी अफीम फैक्ट्री को मिलेगा ‘गंगा सुरक्षा कवच’: ₹8 करोड़ से मजबूत होंगी दीवारें!

Manasvi Chaudhary
4 Min Read
गाजीपुर की 200 साल पुरानी अफीम फैक्ट्री को मिलेगा 'गंगा सुरक्षा कवच': ₹8 करोड़ से मजबूत होंगी दीवारें!

गाजीपुर। उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में गंगा किनारे स्थित ऐतिहासिक अफीम फैक्ट्री, जिसकी नींव अंग्रेजों ने 1820 में डाली थी, अब अपने 200 साल के इतिहास में पहली बार बड़े पैमाने पर सुरक्षा और संरक्षण का कार्य देख रही है। गंगा की बाढ़ का अनगिनत बार सितम सह चुकी इस फैक्ट्री की दीवारों को मजबूत करने के लिए करीब 8 करोड़ रुपये की लागत से बोल्डर और पिचिंग का कार्य शुरू किया गया है।

गाजीपुर की अफीम फैक्ट्री: एक ऐतिहासिक सफर

गाजीपुर का यह अफीम एवं क्षारोद कारखाना, जिसे ब्रिटिश हुकूमत ने अपने व्यवसायिक हितों के मद्देनजर गंगा किनारे स्थापित किया था, कभी गाजीपुर के नगसर इलाके के कई गाँवों में होने वाली अफीम की खेती का केंद्र था। उस समय कच्ची अफीम को गंगा नदी के रास्ते फैक्ट्री तक लाया जाता था, जहाँ उसका उपचार कर दवाएँ बनाकर विदेशों में भेजी जाती थीं।

See also  UP Police: हजरतगंज इंस्पेक्टर विक्रम सिंह की बच्चों के लिए अनोखी पहल #लखनऊ

अंग्रेजी शासन समाप्त होने के बावजूद, अंग्रेजों द्वारा स्थापित यह कारखाना आज भी पूरी तरह से कार्यरत है। यह वर्तमान में भारत सरकार के वित्त मंत्रालय की देखरेख में संचालित होता है। यहाँ कच्चे अफीम का उपचार कर उसे दवा योग्य बनाया जाता है, जिसे फिर विदेश या देश की अन्य दवा कंपनियों को आपूर्ति किया जाता है।

200 साल का इतिहास और गंगा के थपेड़े

जानकार बताते हैं कि 1820 में जब इस फैक्ट्री का निर्माण हुआ था, तब गंगा नदी ही यातायात का प्रमुख साधन थी, जिसका लाभ उठाकर अंग्रेजों ने इस कारखाने को नदी किनारे स्थापित किया था। यह कारखाना एशिया का सबसे बड़ा अफीम कारखाना भी कहा जाता है। हालांकि, अब गाजीपुर में अफीम की खेती नहीं होती; कच्ची अफीम अब मध्य प्रदेश के नीमच या अन्य स्थानों से रेल मार्ग के माध्यम से यहाँ लाई जाती है।

See also  आगरा : थाना अछनेरा क्षेत्र में दो गुटों में फायरिंग, एक हिरासत में

इन 200 सालों में गंगा में न जाने कितनी बार बाढ़ आई और चली गई, लेकिन अंग्रेजों की बनाई हुई ये दीवारें आज भी गंगा के प्रचंड थपेड़ों को सहती आ रही हैं। अब पहली बार, सिंचाई विभाग ने इन दीवारों की मजबूती के लिए ठोस कदम उठाया है।

सुरक्षा और सौंदर्य का संगम: गंगा घाट का भी होगा निर्माण

सिंचाई विभाग इस कार्य के तहत फैक्ट्री की दीवारों की सुरक्षा के लिए बोल्डर पिचिंग का काम करवा रहा है। इसके साथ ही, विभाग दीवार के पास एक नया गंगा घाट भी बना रहा है, जिसकी चौड़ाई लगभग 60 से 65 फीट हो सकती है।

इस संबंध में सिंचाई विभाग के अधिशासी अधिकारी राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि फैक्ट्री के पीछे की दीवार की लंबाई करीब 575 मीटर है। उन्होंने यह भी बताया कि ददरी घाट से लेकर शिव मंदिर तक के इलाके में विभाग द्वारा बोल्डर और पिचिंग का काम करवाया जा रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य आने वाले समय में अफीम फैक्ट्री की दीवारों को बाढ़ से होने वाले किसी भी संभावित नुकसान से बचाना है। इस परियोजना में लॉन्चिंग अप्रोच और पत्थर पिचिंग का कार्य ठेकेदार के माध्यम से किया जा रहा है।

See also  Mathura Crime News: :- सरसों के खेत में मिला एक अज्ञात युवक का शव

यह पहल न केवल इस ऐतिहासिक फैक्ट्री की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी, बल्कि गंगा किनारे एक नया घाट बनने से धार्मिक और पर्यटन महत्व भी बढ़ सकता है।

 

 

Advertisements

See also  कंगना रनौत के मामले में बहस टली, 24 अप्रैल को अगली सुनवाई
Share This Article
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement