चंबल में नए मेहमानों का आगमन: 190 घड़ियाल और 4290 बटागुर कछुए अंडों से निकले, नदी का कुनबा बढ़ा

Raj Parmar
3 Min Read
चंबल में नए मेहमानों का आगमन: 190 घड़ियाल और 4290 बटागुर कछुए अंडों से निकले, नदी का कुनबा बढ़ा

आगरा: कभी लुप्तप्राय स्थिति में पहुंच चुके घड़ियालों और दुनिया में दुर्लभ हुए बटागुर कछुओं के लिए चंबल नदी एक बार फिर जीवनदायिनी साबित हो रही है। शनिवार को चंबल सेंक्चुअरी की बाह रेंज में घड़ियालों की हैचिंग (अंडों से बच्चों का निकलना) शुरू हो गई, जबकि बटागुर कछुओं की हैचिंग का काम पूरा हो गया है। इन नई जिंदगियों के साथ चंबल नदी का कुनबा और भी समृद्ध हो गया है।

घड़ियालों के 190 नन्हे मेहमान चंबल में शामिल

नंदगवां घाट पर शनिवार को घड़ियालों के 190 नन्हे मेहमान अंडों से निकलकर सीधे चंबल नदी में पहुंच गए। नेस्ट से सरसराहट की आवाज़ सुनकर मादा घड़ियाल ने खुद बालू को कुरेदना शुरू किया, जिससे अंडे बाहर आ गए और बच्चे निकलकर बालू पर रेंगते हुए नदी में समा गए।

See also  बहू की हत्या कर शव को 20 घंटे तक कमरे में बंद रखा

बाह के रेंजर उदय प्रताप सिंह ने बताया कि मार्च के आखिर से अप्रैल तक मादा घड़ियालों ने चंबल की बालू में बनाए अपने घोंसलों में 35 से 60 अंडे दिए थे। 65 से 80 दिन बाद हैचिंग पीरियड शुरू होने पर वन विभाग ने घोंसलों पर लगी जालियां हटा दी थीं ताकि बच्चे आसानी से बाहर आ सकें। हैचिंग की शुरुआत के साथ ही वन विभाग का अमला अब नेस्टों की दिन-रात निगरानी में जुट गया है, क्योंकि यह प्रक्रिया लगभग एक हफ्ते तक चलेगी।

गौरतलब है कि राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश से होकर बहने वाली चंबल नदी में 1979 से ही लुप्तप्राय स्थिति में पहुंचे घड़ियालों का संरक्षण किया जा रहा है। यह संरक्षण पाली (राजस्थान) से पचनदा (इटावा) तक जारी है।

See also  अब्बास की पत्नी और चालक से एसआईटी ने की पूछताछ

बटागुर कछुओं के 4290 नए शिशु भी नदी में शामिल

चंबल नदी की बाह रेंज में बटागुर कछुओं की हैचिंग का काम सफलतापूर्वक पूरा हो गया है। दुनिया में दुर्लभ माने जाने वाले बटागुर कछुओं के कुल 4290 नए शिशु नदी के कुनबे में शामिल हो गए हैं।

रेंजर उदय प्रताप सिंह ने जानकारी दी कि रेंज में 165 नेस्ट में कछुओं के 3950 अंडे रिकॉर्ड किए गए थे, लेकिन अनरिकॉर्डेड नेस्ट के अंडों से जन्मे बच्चों को मिलाकर कुल 4290 कछुए शिशुओं का जन्म हुआ है। वन विभाग चीकनीपुरा, क्यौरी, उमरैठा, विप्रावली और रेहा वन ब्लॉक में जन्मे इन कछुए शिशुओं के विचरण पर लगातार नज़र रखे हुए है। बताया गया है कि बटागुर कछुओं की करीब 500 मादाएं प्रजनन कर रही हैं, जिनकी नेस्टिंग मार्च के आखिर में हुई थी।

See also  अगर किसानों के हित में फैसला नहीं आया तो दे दूंगा अपनी जान - भानू

 

See also  Etah News: लेखपालों में आक्रोश, निलंबन वापस नहीं लिया तो 21 जनवरी को करेंगे कार्य बहिष्कार
Share This Article
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement