झाँसी, सुल्तान आब्दी: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद देश भर में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ कथित रूप से बन रहे नफरत और दुश्मनी के माहौल को लेकर झाँसी के मुस्लिम समुदाय में गहरा आक्रोश है। समुदाय ने इस संबंध में अपनी चिंताएं व्यक्त करते हुए राष्ट्रपति महोदया को संबोधित एक ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट को सौंपा। यह ज्ञापन झांसी कुरैश कॉन्फ्रेंस सामाजिक संस्था रजि के राष्ट्रीय सचिव मोहम्मद कलाम कुरैशी के नेतृत्व में सैकड़ों उलमाओं और समुदाय के प्रमुख लोगों द्वारा मदीना मस्जिद के बाहर सौंपा गया।
ज्ञापन में मुफ्ती आमान सिद्दीकी के हवाले से कहा गया है कि पहलगाम हमले के बाद पूरे भारत में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नफरत और दुश्मनी का माहौल बनाया जा रहा है, जिससे समुदाय के मन में डर व्याप्त हो गया है। उन्होंने राष्ट्र के संवैधानिक प्रमुख के रूप में राष्ट्रपति से अपील की है कि वह भारत सरकार को राज्य में एक स्वतंत्र और निडर माहौल बनाने का संदेश दें।
मोहम्मद कलाम कुरैशी ने कहा कि पहलगाम में पर्यटकों पर हुआ आतंकवादी हमला देश की एकता और अखंडता पर हमला है, जिसकी हर स्तर पर निंदा की गई है। उन्होंने कहा कि इस हमले की निंदा में मुस्लिम समुदाय ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है और पूरा समुदाय इस आतंकवादी कृत्य के खिलाफ एकजुट खड़ा है।
हालांकि, ज्ञापन में चिंता व्यक्त की गई है कि देश के अन्य राज्यों की तरह अब उत्तर प्रदेश में भी मुस्लिम समुदाय को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है। आरोप लगाया गया है कि उनके उद्योग और व्यवसायों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है और उनके खिलाफ नफरत और दुश्मनी का माहौल पैदा किया जा रहा है। समुदाय ने इसके लिए देश की धार्मिक और सांप्रदायिक ताकतों को जिम्मेदार ठहराया है, जिनकी कथित कार्रवाइयों के कारण राज्य के मुस्लिम समुदाय में डर का माहौल बन गया है।
ज्ञापन में महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नितेश राणे के कथित भड़काऊ बयानों का भी जिक्र किया गया है, जिन पर जानबूझकर मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नफरत फैलाने का आरोप लगाया गया है। समुदाय ने उनके इस कृत्य को संविधान के विरुद्ध बताते हुए उन्हें पद से हटाने की मांग की है।
मुस्लिम समुदाय ने पहलगाम हमले के बाद कश्मीरी लोगों द्वारा पर्यटकों को दी गई मदद और सहायता की सराहना की। उन्होंने सैयद आदिल हुसैन शाह नामक कश्मीरी युवक और सैनिक ज़ांटू अली के बलिदान को याद किया, जिन्होंने पर्यटकों को बचाते हुए अपनी जान गंवा दी। समुदाय ने कहा कि कश्मीरी लोगों के इस कृत्य ने सामाजिक और धार्मिक सद्भाव का महत्वपूर्ण संदेश दिया है।
ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि देश का पूरा मुस्लिम समुदाय आतंकवाद और चरमपंथ के खिलाफ है। इसके बावजूद, उत्तर प्रदेश में बांग्लादेशी नागरिकों के नाम पर मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है, जिससे राज्य की कानून-व्यवस्था खतरे में पड़ गई है। समुदाय ने ऐसी कट्टरपंथी ताकतों के कृत्यों को उतना ही निंदनीय बताया जितना कि चरमपंथियों के कृत्य को।
अंत में, ज्ञापन के माध्यम से राष्ट्रपति से उत्तर प्रदेश सरकार को उचित निर्देश देने और राज्य में मुस्लिम समुदाय के लिए एक स्वतंत्र और निडर वातावरण सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया। समुदाय ने राष्ट्रपति से इस मामले में संवैधानिक कार्रवाई की उम्मीद जताई है।
ज्ञापन सौंपने के दौरान सैकड़ों की संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने हाथों में काली पट्टी बांधकर शांतिपूर्वक नमाज अदा की और आतंकवाद का विरोध जताया। आतंकी हमले में मारे गए लोगों की आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन भी रखा गया और एक शांति मार्च निकाला गया। इस विरोध प्रदर्शन में मुफ्ती आमान सिद्दीकी, सैयद सादिक अली (बुंदेलखंड अध्यक्ष, एमआईएम पार्टी), हाफिज कारी फुरकान, हाफिज साबिर रजा, हाफिज अमजद, हाफिज अब्दुल मजीद, हाजी अशफाक कुरैशी, सरफुद्दीन कुरैशी और अन्य कई प्रमुख लोग शामिल थे।