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सतसंग जगत में हर्षोल्लास से मनाया गया परम पूज्य गुरुमहराज प्रोफेसर प्रेम सरन सत्संगी साहब का जन्मोत्सव और बसंत पंचमी का पावन पर्व

Dharmender Singh Malik
3 Min Read
सतसंग जगत में हर्षोल्लास से मनाया गया परम पूज्य गुरुमहराज प्रोफेसर प्रेम सरन सत्संगी साहब का जन्मोत्सव और बसंत पंचमी का पावन पर्व

आगरा। सम्पूर्ण सतसंग जगत में खुशी और उल्लास का माहौल देखा गया, जब परम पूज्य गुरुमहराज प्रोफेसर प्रेम सरन सत्संगी साहब का जन्मोत्सव और बसंत पंचमी का पावन पर्व एक साथ मनाया गया। इस अवसर पर हजारों भक्तों ने अपने गुरू की महिमा में भव्य आयोजन किए और सत्संग की महक से वातावरण को आनंदमय कर दिया।

बसंत पंचमी का पर्व पारंपरिक रूप से ज्ञान, संगीत और उल्लास का प्रतीक माना जाता है। इस दिन को विशेष रूप से सरस्वती पूजा के रूप में मनाया जाता है, जो विद्या और कला की देवी का पूजन है। साथ ही, यह दिन गुरुमहराज प्रोफेसर प्रेम सरन सत्संगी साहब के जन्मोत्सव के रूप में भी बड़े श्रद्धा भाव से मनाया गया।

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गुरुमहराज का योगदान और उनके आदर्श

परम पूज्य प्रोफेसर प्रेम सरन सत्संगी साहब ने हमेशा अपने अनुयायियों को सत्य, अहिंसा, और सेवा का मार्ग दिखाया। उनका जीवन साधना, समर्पण और समाज की सेवा में समर्पित रहा है। उनके अद्वितीय शिक्षाओं ने न केवल सत्संग जगत में बल्कि समाज के हर वर्ग में सकारात्मक बदलाव लाए हैं। उनके विचार और शिक्षाएं आज भी लाखों लोगों के जीवन को प्रकाशित कर रही हैं।

जन्मोत्सव और बसंत पंचमी की विशेषता

इस खास मौके पर गुरुमहराज के अनुयायियों ने संगठित होकर विशेष पूजा और हवन किया। साथ ही, सामूहिक रूप से भजन-कीर्तन का आयोजन भी हुआ, जिसमें सैकड़ों भक्तों ने भाग लिया। इस दिन के महत्व को और बढ़ाते हुए, श्रद्धालुओं ने गुरुदेव की शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारने का संकल्प लिया।

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बसंत पंचमी के पर्व पर विशेष रूप से गुरुमहराज के विचारों का प्रसार हुआ, और उनका संदेश अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाया गया। यह दिन न केवल आध्यात्मिक विकास का था, बल्कि जीवन में सकारात्मकता और खुशहाली लाने का दिन भी था।

सत्संग जगत में प्रसन्नता और उत्साह का माहौल

पूरे सत्संग जगत में इस विशेष अवसर पर उत्साह और प्रसन्नता का वातावरण था। भक्तों ने इस दिन को यादगार बनाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया। हर स्थान पर गुरुदेव की महिमा के गीत गाए गए और उनके आशीर्वाद से जीवन को संजीवनी देने के अवसर पर समाज में एकता और भाईचारे की भावना को बढ़ावा दिया गया।

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परम पूज्य प्रोफेसर प्रेम सरन सत्संगी साहब का जन्मोत्सव और बसंत पंचमी का पर्व न केवल एक धार्मिक आयोजन था, बल्कि यह आध्यात्मिक जागृति, समाज सेवा, और गुरुमहराज के प्रति श्रद्धा का प्रतीक भी था। इस दिन को मनाकर भक्तों ने अपनी जीवन शैली को बेहतर बनाने और सत्य के मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।

 

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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