अदालत ने अपील खारिज कर शासन की कार्यवाही को सही ठहराया,  बिजली कॉटन मिल के राष्ट्रीयकरण के बाद मजदूरों के भुगतान का मामला

MD Khan
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आगरा के अपर जिला जज 11 नीरज कुमार बख्शी ने बिजली कॉटन मिल प्राइवेट लिमिटेड की अपील खारिज कर शासन की कार्यवाही को सही ठहराया है।

बिजली कॉटन मिल के निदेशक राजीव लाल ने वर्ष 1992 में उप श्रमायुक्त, उत्तर प्रदेश शासन, भारत संघ द्वारा सचिव टेक्सटाइल्स मंत्रालय नई दिल्ली, नेशनल टेक्सटाइल कॉर्पोरेशन उत्तर प्रदेश आदि को प्रतिवादी बना सिविल वाद दायर किया था।

वादी ने दावा किया था कि उनकी कंपनी बिजली कॉटन मिल हाथरस को सिक कम्पनी घोषित कर उसका राष्ट्रीयकरण भारत सरकार द्वारा 1 अप्रैल 1974 से सिक टेक्सटाइल अंडरटेकिंग एक्ट द्वारा किया गया था। अधिग्रहण किए जाने के बाद वादी का श्रमिकों को मजदूरी, बोनस आदि का भुगतान करने का दायित्व समाप्त हो गया था।

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वादी ने मांग की थी कि उप श्रमायुक्त को कुल धन राशि 6,93,184.10 का भुगतान किए जाने से मना किया जाए, जोकि उप श्रमायुक्त को तहसीलदार हाथरस द्वारा हाथरस मजदूर पंचायत को भुगतान किए जाने के लिए प्रेषित की गई थी।

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