यूपी में बाल गृह में चार बच्चों की मौत से, बाल गृह के जंगल राज’ की हकीकत सामने आई

Dharmender Singh Malik
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लखनऊ। लखनऊ के हजरतगंज के राजकीय बाल गृह (शिशु) में चार बच्चों की मौत ने बाल गृह में चल रहे ‘जंगल राज’ की हकीकत बयां कर दी है। बच्चों को ठीक से खाना नसीब नहीं होता था। बच्चे यदि भूख लगने की बात कहते, तब उन्हें खाने की जगह खरी-खोटी सुनाई जाती थी। उनके साथ मारपीट होती हैं।

हालात कितने खराब थे, इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि करीब 75 बच्चों को मात्र सात कमरों में ठूस दिया जाता था। कमरों की दशा बेहद खराब थी। यहां बच्चों को जानवरों से भी बुरे हालात में रहना पड़ता था। इसी के चलते बच्चे बीमार पड़ जाते थे, लेकिन इनका इलाज करने की बजाए इन्हें ऊपर वाले के भरोसे छोड़ दिया जाता था। बीमार बच्चों को तब ही इलाज मिलता जब उनकी जान के लाले पड़ जाते थे। इसकारण गत दिनों तीन बच्चों की मौत हो गई थी। मंगलवार को एक और बीमार बच्चा मौत के मुंह में चला गया।

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इन बच्चों को तबीयत खराब होने पर पास के ही सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां अंतरा, आयुशी व लक्ष्मी की सोमवार को मौत हो गई थी। वहीं हालत गंभीर होने पर दीपा को ट्रॉमा सेंटर रेफर किया गया था। इलाज के दौरान मंगलवार को उसने भी दम तोड़ दिया।

कई बच्चों के बीमार होने और चार की मौत का पता चलने पर जिला प्रोबेशन अधिकारी समेत अन्य अधिकारी बाल गृह पहुंचे, लेकिन यह सब औपचारिकता से अधिक कुछ नजर नहीं आया। टीम ने एक माह से दो साल तक के बच्चों की सेहत के बारे में जानकारी लेने के साथ ही रखने और आहार आदि के बारे में जानकारी ली।

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पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए राजकीय बाल गृह के अधीक्षक को नोटिस जारी कर एक हफ्ते में स्पष्टीकरण मांगा है। इसके साथ मैजिस्ट्रीरियल जांच के लिए जिलाधिकारी को पत्र भी लिखा गया है।

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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