इस युग में धनवान व्यक्ति वही है जो अपने तन, मन, धन से सेवा और भक्ति करे – भागवताचार्य ऋषि कृष्ण महाराज
खेरागढ़ (आगरा)– कस्बा खेरागढ़ के ब्रजधाम उदासीन आश्रम पुल वाले हनुमान मंदिर पर श्री श्री अनन्त श्री स्वामी बृजानन्द जी महाराज अवधूत के सानिध्य में संचालित सात दिवसीय श्रीमदभागवत कथा ज्ञानयज्ञ के पांचवे दिन कथावाचक भागवताचार्य ऋषि कृष्ण जी महाराज ने भक्तों को भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीला का वर्णन सुनाया।
कथा में विशेष रूप पूतना वध, नामकरण के साथ भगवान की बाल लीलाओं का वर्णन किया। भगवान द्वारा वृंदावन में अनेक लीला की गईं। गोचरण की लीला, अघासुर वध, कालिया नाग पर नृत्य और उसे रमण द्वीप में भेजना, गोपीचीर हरण लीला। उसके उपरांत गोवर्धन पूजा की गई।
उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण के पैदा होने के बाद कंस उसको मौत के घाट उतारने के लिए अपनी राज्य की सर्वाधिक बलवान राक्षसी पूतना को भेजता है। पूतना वेश बदलकर भगवान श्रीकृष्ण को अपने स्तन से जहरीला दूध पिलाने का प्रयास करती है। लेकिन भगवान श्रीकृष्ण उसको मौत के घाट उतार देते हैं। उसके बाद कार्तिक माह में ब्रजवासी भगवान इंद्र को प्रसन्न करने के लिए पूजन का कार्यक्रम करने की तैयारी करते हैं।
भगवान कृष्ण द्वारा उनको भगवान इंद्र की पूजन करने से मना करते हुए गोवर्धन महाराज की पूजन करने की बात कहते हैं। इंद्र भगवान उन बातों को सुनकर क्रोधित हो जाते हैं। वह अपने क्रोध से भारी वर्षा करते हैं। जिसको देखकर समस्त ब्रजवासी परेशान हो जाते हैं। भारी वर्षा को देख भगवान श्री कृष्ण गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा अंगुली पर उठाकर पूरे ब्रजवासियों को पर्वत के नीचे बुला लेते हैं। जिससे हार कर इंद्र एक सप्ताह के बाद वर्षा को बंद कर देते हैं। जिसके बाद ब्रज में भगवान श्री कृष्ण और गोवर्धन महाराज के जयकारे लगाने लगते हैं।
कथावाचक भागवताचार्य ऋषि कृष्ण जी महाराज ने प्रवचन के दौरान भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन कर धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की महत्ता पर व्याख्यान किया।कथा व्यास द्वारा श्रीकृष्ण बाल लीलाओं का बृत्तांत सुनकर भक्त गण भाव विभोर हो गए।
इस मौके पर संकीर्तन मंडली के सदस्यों ने भगवान श्री कृष्ण की महिमा का गुणगान किया। उन्होंने कई मनमोहक भजन प्रस्तुत किए, जिन पर श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।