जैथरा (एटा): एटा जिले के जैथरा कस्बे में एक सनसनीखेज घटना सामने आई है, जिसने न केवल क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्था, बल्कि स्थानीय पुलिस की कार्यशैली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यहाँ नगर पंचायत अध्यक्ष और उनके भाइयों पर एक सभासद और पत्रकार पर जानलेवा हमला करवाने का आरोप लगा है। चौंकाने वाली बात यह है कि यह हमला थाने के ठीक सामने हुआ, और हैरानी की बात यह रही कि पुलिस मूकदर्शक बनी रही, किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं की।
भ्रष्टाचार उजागर करने पर टूटा कहर
यह घटना वार्ड संख्या-7 से सभासद चुने गए अनुज शर्मा के साथ घटित हुई। अनुज शर्मा ने हाल ही में नगर पंचायत जैथरा में हो रहे कथित भ्रष्टाचार की शिकायत की थी। बताया जा रहा है कि इसी बात से नाराज़ होकर नगर पंचायत अध्यक्ष विवेक कुमार गुप्ता और उनके भाइयों ने अनुज शर्मा को लगातार धमकाना शुरू कर दिया था। यह हमला उसी धमकी का परिणाम माना जा रहा है।
15-20 हमलावरों ने लात-घूंसों से पीटा
13 मई की रात करीब 8 बजे, अनुज शर्मा अपने पत्रकार साथी संतोष कश्यप के साथ सुनील कुमार बौद्ध की दुकान पर बैठे थे। इसी दौरान, सन्नु फौजी उर्फ गजेंद्र सिंह, कल्लू ठाकुर, गौरव ठाकुर, सनी समेत करीब 15-20 युवकों का एक झुंड वहाँ पहुंचा। इन हमलावरों ने बिना किसी चेतावनी के अनुज शर्मा और संतोष कश्यप पर हमला बोल दिया। दोनों को लात-घूंसों और थप्पड़ों की बेरहमी से बौछार करते हुए बुरी तरह पीटा गया।
थाने के सामने हुआ हमला, पुलिस खामोश रही
सबसे चौंकाने वाला और चिंताजनक पहलू यह है कि यह पूरी वारदात जैथरा थाने के बिल्कुल सामने हुई। लेकिन थाना परिसर में मौजूद पुलिसकर्मी इस दौरान पूरी तरह मूकदर्शक बने रहे। किसी भी पुलिसकर्मी ने न तो पीड़ितों को बचाने की कोशिश की और न ही हमलावरों को रोकने का प्रयास किया। हमलावरों की गुंडागर्दी थाने की चौखट तक आ पहुंची, लेकिन कानून के रखवाले अपनी आँखें बंद किए रहे, जिससे पुलिस की भूमिका पर गंभीर संदेह उठ रहे हैं।
हमला कर लौटे अध्यक्ष के घर, बांटी मिठाई
पीड़ितों ने पुलिस को दी अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि घटना से ठीक पहले सभी आरोपी अध्यक्ष विवेक गुप्ता के घर पर मौजूद थे और हमले को अंजाम देने के बाद भी वे वहीं लौटे। पीड़ितों का दावा है कि हमले की “कामयाबी” के बाद वहाँ मिठाई बांटी गई और जश्न मनाया गया, जो इस साजिश की ओर इशारा करता है।
पुलिस ने दर्ज नहीं की रिपोर्ट, कोर्ट से मिला न्याय
हमले के तुरंत बाद, अनुज शर्मा और संतोष कश्यप ने जैथरा थाने में लिखित तहरीर दी, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से पुलिस ने उनकी रिपोर्ट दर्ज नहीं की। पुलिस की निष्क्रियता से निराश होकर, पीड़ित पक्ष ने न्याय के लिए न्यायालय की शरण ली। आखिरकार, अदालत के आदेश के बाद अब जाकर जैथरा पुलिस ने चार नामजद और 15-20 अज्ञात हमलावरों के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर तफ्तीश शुरू की है।
जैथरा पुलिस सवालों के घेरे में
इस पूरी घटना ने जैथरा पुलिस की निष्क्रियता और कथित मिलीभगत पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आम लोगों का कहना है कि जब थाने के ठीक सामने इस तरह की खुलेआम गुंडागर्दी हो सकती है और पुलिस खामोश रह सकती है, तो आम आदमी अपनी सुरक्षा के लिए किस पर भरोसा करे? यह घटना पुलिस-प्रशासन की लचर कानून व्यवस्था और अपराधियों के बुलंद हौसलों को दर्शाती है। पुलिस को इस मामले में निष्पक्ष और कड़ी कार्रवाई कर अपनी विश्वसनीयता बहाल करनी होगी।