आगरा: हाल ही में सुप्रीम कोर्ट और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा अवैध निर्माणों के खिलाफ सख्त आदेश दिए गए थे, बावजूद इसके आवास एवं विकास परिषद के निर्माण खंड-2 में अवैध निर्माण पर कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की जा रही है। अधिकारियों द्वारा नोटिस चस्पा करने के बावजूद निर्माण कार्य जारी है, जो यह दर्शाता है कि इस मामले में कहीं न कहीं भ्रष्टाचार का खेल चल रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने साफ तौर पर कहा था कि अवैध निर्माण को किसी भी हालत में वैध नहीं किया जा सकता है। इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी संबंधित विभागों और क्षेत्रीय थाना पुलिस को अवैध निर्माण को रोकने की जिम्मेदारी सौंपी थी। हालांकि, आवास विकास परिषद के अधिकारी इन आदेशों का पालन करने में असफल दिख रहे हैं। ऐसा ही एक मामला आगरा के सेक्टर 5 स्थित एचआईवी भवन में देखा गया, जहां खंड के अधिशासी अभियंता द्वारा नोटिस जारी किया गया था, लेकिन उसके बावजूद निर्माण कार्य रुका नहीं और वह तेजी से जारी रहा।
अवैध निर्माण पर नोटिस का खेल
खंड 2 के अधिकारियों द्वारा पुराने अवैध निर्माणों के खिलाफ तो नोटिस जारी किए जा रहे हैं, लेकिन नए निर्माणों को रोकने में कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। निर्माण खंड 2 के अधिकारी लगातार अवैध निर्माणों पर नोटिस जारी कर धमकी देने का काम कर रहे हैं, लेकिन सीलिंग की कार्रवाई केवल कुछ मामलों में ही की जा रही है। वहीं, जिन निर्माणकर्ताओं से सेटिंग हो जाती है, उन्हें छूट दी जाती है और उनके निर्माण कार्य को तेजी से पूरा करने का मौका मिलता है।
निर्माण कार्य रोकने में अधिकारियों की लापरवाही
क्षेत्रीय जूनियर इंजीनियर सुनील यादव का कहना है कि “नोटिस चस्पा किया गया है और आगे की कार्रवाई नियम अनुसार की जाएगी।” हालांकि, जब उनसे पूछा गया कि नोटिस के बावजूद निर्माण कार्य क्यों जारी है, तो उन्होंने कहा कि उन्होंने पहले भी निर्माण कार्य को रुकवाया था और अब फिर से जांच कराकर कार्य को रुकवाने की कोशिश करेंगे।
पुलिस को दी गई नोटिस की कॉपी, फिर भी कोई कार्रवाई नहीं
आवास विकास परिषद के निर्माण खंड 2 ने अवैध निर्माण के खिलाफ जो नोटिस जारी किए हैं, उसकी कॉपी पुलिस कमिश्नर और संबंधित थाना अध्यक्ष को भी दी गई है। बावजूद इसके पुलिस ने भी अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है, जिसके कारण निर्माण कार्य लगातार जारी है।
कई सवाल खड़े करता है यह मामला
यह मामला साफ तौर पर भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है, जहां अधिकारियों और निर्माणकर्ताओं के बीच “सेटिंग” की बात सामने आ रही है। यह स्थिति यह भी दर्शाती है कि आवास विकास परिषद के अधिकारी ना तो सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन कर रहे हैं और न ही मुख्यमंत्री के निर्देशों को गंभीरता से ले रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि अवैध निर्माण पर रोक कब तक लगेगी और प्रशासन कब इस पर कड़ा कदम उठाएगा।