आगरा : छोटे झोलाछापों पर कार्रवाई कर ढिंढोरा पीटने वाले स्वास्थ्य विभाग के हाथ बड़े हॉस्पिटल के सामने रुक जाते हैं। मरीजों का आर्थिक शोषण हो रहा है। विभाग में शिकायत दर्ज कराई जाती है, इसके बावजूद कार्रवाई के नाम पर स्थिति सिफर रहती है।
हॉस्पिटल में झोलाछापों का कब्जा
रुनकता किरावली मार्ग स्थित फ्लाईओवर के नीचे स्थित श्री श्याम जी हॉस्पिटल में बीते दिनों लोहकरेरा निवासी जयवीर सिंह पुत्र सौदान सिंह ने अपनी पुत्री पूनम को पर दर्द की शिकायत पर भर्ती कराया था। मौके पर हॉस्पिटल में कोई भी प्रशिक्षित स्टाफ मौजूद नहीं मिला था। काफी देर तक इलाज के नाम पर परिजनों को टहलाया जाता रहा। इसके बाद हॉस्पिटल में ही मौजूद एक झोलाछाप रिजवान ने परिजनों को बातों में फंसाकर इलाज शुरू कर दिया। परिजनों से इलाज के मद में ₹40 हजार हड़प लिए। रात भर चले इलाज के दौरान सुबह पूनम की हालत और ज्यादा बिगड़ गई। रिजवान ने इसके बाद गंभीर बीमारी का इलाज करने का बहाना बनाकर फिर ₹10 हजार और ले लिए। इसके बावजूद पूनम की हालत में सुधार नहीं हुआ। उसकी हालत बिगड़ती देख परिजनों ने पूनम को यहां से डिस्चार्ज करवाकर सिकंदरा क्षेत्र के अन्य हॉस्पिटल में भर्ती करवाया। गहन इलाज के बाद उसकी हालत में सुधार आया।
सीएमओ ऑफिस में शिकायत, कार्रवाई नहीं
अपने साथ हॉस्पिटल में हुई धोखाधड़ी के बाद जयवीर सिंह ने सीएमओ ऑफिस में श्री श्याम जी हॉस्पिटल के खिलाफ शिकायत की। जयवीर सिंह ने बताया कि विभाग द्वारा उसकी शिकायत को रद्दी की टोकरी में डाल दिया गया। आज तक उसके खिलाफ कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई है।
हॉस्पिटल में अनियमितताएं, विभाग के चर्चित अधिकारी पर बचाव का आरोप
सूत्रों के अनुसार बताया जा रहा है कि श्री श्याम जी हॉस्पिटल, नियमों को धता बताकर संचालित हो रहा है। फायर से लेकर प्रदूषण एनओसी मौजूद नहीं है। प्रशिक्षित चिकित्सकों की जगह झोलाछापों द्वारा इलाज किया जा रहा है। हॉस्पिटल के खिलाफ शिकायत के बावजूद कार्रवाई को दबाने में विभाग के ही एक चर्चित अधिकारी का हाथ बताया जा रहा है। वर्षों पूर्व तत्कालीन सरकार में एक केंद्र के प्रभारी रहते जमकर गुल खिलाए गए थे। अपनी पहुंच का फायदा उठाकर जिले में महत्वपूर्ण पटल पर कब्जा जमा लिया गया। देहात क्षेत्र के कुछ झोलाछापों के यहां छापेमारी के बाद हुई सेटिंग भी चर्चाओं के केंद्र में है।
क्या है विभाग का कहना
इस मामले में सीएमओ डॉ. अजय कुमार का कहना है कि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं है। यदि शिकायत दर्ज कराई गई है तो इसकी जांच कराई जाएगी और यदि हॉस्पिटल में अनियमितताएं पाई गईं तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
यह मामला स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है। छोटे झोलाछापों पर कार्रवाई करने वाला विभाग बड़े हॉस्पिटल के खिलाफ कार्रवाई करने में क्यों हिचकिचा रहा है? यह भी जांच का विषय है।