आगरा समेत पांच जिलों का औद्योगिक भविष्य 9 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में तय होगा

BRAJESH KUMAR GAUTAM
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आगरा, मथुरा, फिरोजाबाद, एटा और हाथरस जिलों में औद्योगिक विकास पर सुप्रीम कोर्ट का 9 दिसंबर को अहम निर्णय। टीटीजेड में नए उद्योगों की रोक और क्षमता वृद्धि पर सुनवाई, क्या होगा आगरा का औद्योगिक भविष्य?

आगरा। ताज ट्रिपेजियम जोन (टीटीजेड) के अंतर्गत आने वाले आगरा, मथुरा, फिरोजाबाद, एटा और हाथरस जिलों में औद्योगिक विकास को लेकर संकट के बादल एक बार फिर मंडरा रहे हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने 14 अक्टूबर 2024 को इस क्षेत्र में नए उद्योगों की स्थापना पर 9 दिसंबर 2024 तक रोक लगा दी है। यह आदेश एक याचिका के आधार पर जारी किया गया था, और अब आगामी 9 दिसंबर को होने वाली सुनवाई में यह तय होगा कि इन जिलों का औद्योगिक भविष्य क्या होगा।

उद्यमियों ने इस आदेश पर पुनर्विचार की मांग की है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस मुद्दे पर सहयोग की अपेक्षा की है। इस फैसले को लेकर कई उद्योगपतियों ने चिंता जताई है, क्योंकि इससे न केवल नए उद्योगों की स्थापना पर असर पड़ेगा, बल्कि मौजूदा उद्योगों की क्षमता में वृद्धि की संभावनाओं पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

कब लगी थी यह रोक और क्यों?

14 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश के तहत टीटीजेड क्षेत्र में किसी भी नए उद्योग की स्थापना पर रोक लगा दी गई है। यह आदेश 9 दिसंबर 2024 तक प्रभावी रहेगा। आगरा के उद्यमी इस आदेश के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं और इसे औद्योगिक विकास के लिए नुकसानदायक मान रहे हैं।

उत्तर प्रदेश लघु उद्योग निगम लिमिटेड के चेयरमैन राकेश गर्ग ने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सहयोग की अपील की है। उन्होंने हाल ही में मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर आगरा के औद्योगिक विकास में आ रही अड़चनों पर ध्यान दिलाया। राकेश गर्ग ने यह भी कहा कि सरकार को इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय में पैरवी के लिए सालिसीटर जनरल तुषार मेहता से सहायता लेनी चाहिए, ताकि टीटीजेड में उद्योगों की रोक हटाई जा सके।

सुप्रीम कोर्ट का 1996 का आदेश और उसकी स्थिति

राकेश गर्ग ने मुख्यमंत्री को बताया कि सुप्रीम कोर्ट का 30 दिसंबर 1996 का आदेश टीटीजेड क्षेत्र में प्रदूषण नियंत्रण के लिए था, लेकिन इसका उद्देश्य वहां के उद्योगों को बढ़ावा देना भी था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि केवल ऐसे उद्योग स्थापित किए जाएंगे जो नेचुरल गैस का उपयोग करेंगे, और कोल या कोक जैसे फॉसिल फ्यूल का इस्तेमाल नहीं करेंगे।

28 साल पहले, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत आगरा की 292 फाउंड्रीज़ ने कोल और कोक का इस्तेमाल बंद कर दिया था और उनकी जगह गैस आधारित क्यूपोला (भट्ठियां) स्थापित की गई थीं। यह कदम पर्यावरण सुरक्षा के साथ-साथ औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उठाया गया था। राकेश गर्ग का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से किसी भी उद्योग ने फॉसिल फ्यूल का इस्तेमाल नहीं किया है, और इन उद्योगों की क्षमता में वृद्धि की अनुमति दी गई थी।

आगरा का औद्योगिक भविष्य: 9 दिसंबर की सुनवाई में फैसला

टीटीजेड क्षेत्र में उद्योगों के भविष्य को लेकर आगामी 9 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई होने वाली है। अगर सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाए गए नए उद्योगों की स्थापना पर रोक को खत्म किया जाता है, तो आगरा और आसपास के क्षेत्रों में औद्योगिक गतिविधियां फिर से तेज हो सकती हैं। इससे न केवल स्थानीय रोजगार बढ़ेगा, बल्कि औद्योगिक क्षेत्र की प्रगति में भी गति आएगी।

हालांकि, पर्यावरण संरक्षण के साथ औद्योगिक विकास के बीच संतुलन बनाए रखना भी आवश्यक है। इसलिए, उद्यमियों और पर्यावरण सुरक्षा से जुड़े अधिकारियों के बीच संतुलन साधना जरूरी है। आगामी सुनवाई में यह तय होगा कि क्या इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी किए गए आदेशों में बदलाव होगा या नहीं।

मुख्यमंत्री से उम्मीदें

राकेश गर्ग ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि वे सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की पैरवी करें और आगरा के उद्योगों के हित में कदम उठाएं। उनका कहना है कि प्रदेश की औद्योगिक प्रगति के लिए यह समय बेहद अहम है, और अगर यह रोक हटा दी जाती है, तो इससे न केवल आगरा, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश का औद्योगिक भविष्य उज्जवल हो सकता है।

आगरा और उसके आसपास के जिलों का औद्योगिक भविष्य अब 9 दिसंबर को होने वाली सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर निर्भर करेगा। इस सुनवाई में यह तय होगा कि टीटीजेड क्षेत्र में औद्योगिक गतिविधियों को लेकर क्या दिशा-निर्देश दिए जाते हैं। फिलहाल, उद्यमी, स्थानीय सरकार और पर्यावरण संरक्षण के पक्षधर सभी इस फैसले का इंतजार कर रहे हैं।

 

 

 

 

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