दुराचार पीड़िता को नहीं मिला न्याय, उल्टा थाने से लौटा अपमान—अब अदालत ने दिखाई राह

Jagannath Prasad
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पुलिस पर सवाल, अदालत सख्त: खेरागढ़ में नाबालिग से दरिंदगी के मामले में लापरवाही पर मुकदमे के आदेश

थाना प्रभारी और दो उप निरीक्षकों सहित अन्य आरोपियों पर मुकदमा दर्ज करने के आदेश

आगरा । “बेटी के साथ दरिंदगी हुई, हम थाने गए, लेकिन इंसाफ की जगह मिली झिड़की और खामोशी।” यह कहना है उस पिता का, जिसकी 16 वर्षीय बेटी के साथ खेरागढ़ में अपहरण और दुराचार की वारदात हुई। थाने की चौखट पर न्याय की उम्मीद लेकर पहुंचे इस पिता को पुलिस ने न केवल नजरअंदाज किया, बल्कि मामले को दबाने की पूरी कोशिश की। लेकिन अब अदालत की कड़ी फटकार ने इस घटना के दबे सच को उजागर कर दिया है।

विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट सोनिका चौधरी ने इस मामले में खेरागढ़ थाना प्रभारी इंद्रजीत सिंह, दो उप निरीक्षकों इब्राहिम खान और हरेंद्र सिंह सहित अन्य आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर विवेचना के आदेश दिए हैं। अदालत ने पाया कि पुलिस ने न केवल मामले में निष्क्रियता दिखाई, बल्कि जानबूझकर न्याय को दबाने और पीड़ित पक्ष को अपमानित करने की साजिश भी की।

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मामला 3 फरवरी 2025 का है, जब पीड़ित की दो नाबालिग बेटियां—16 और 13 वर्ष की—बाजार जाने के बाद घर नहीं लौटीं। 5 फरवरी को छोटी बेटी घबराई हुई हालत में मिली और उसने बताया कि चार युवकों ने उन्हें जबरन ऑटो में बैठा लिया था। बड़ी बहन को नुनिहाई स्थित एक घर में ले जाकर दुराचार किया गया। छोटी बेटी ने बताया कि वह किसी तरह अपनी जान बचाकर वहां से भाग निकली।

जब परिवार ने खेरागढ़ थाने में शिकायत दर्ज करानी चाही, तो पुलिस ने मामला दर्ज करने से इंकार कर दिया। आरोप है कि थाना प्रभारी और कुछ पुलिसकर्मियों ने आरोपियों से मिलीभगत करके इस मामले को दबाने का प्रयास किया।

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अदालत ने इस मामले की गंभीरता को समझते हुए कहा कि पुलिस ने अपने कर्तव्यों का पालन करने में पूरी तरह से विफलता दिखायी। अदालत ने यह भी कहा कि पुलिस अधिकारियों ने अदालत को गुमराह करने की कोशिश की और न्याय प्रक्रिया में हस्तक्षेप किया। अदालत के आदेश के बाद अब आरोपी अरबाज, अलीम, उनके पिता सलीम, दो अज्ञात युवक, और पुलिसकर्मी इंद्रजीत सिंह, इब्राहिम खान और हरेंद्र सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर विवेचना शुरू कर दी जाएगी। यह घटनाक्रम एक बार फिर पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है, खासकर तब जब यह संवेदनशील मामले से जुड़ा है। अब देखने वाली बात यह होगी कि अदालत की सख्त कार्रवाई के बाद क्या पुलिस अपनी कार्यप्रणाली में सुधार करती

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