भगवान परशुराम: ब्राह्मण समाज का गौरव – प्राकट्योत्सव धूमधाम से मनाया गया

Saurabh Sharma
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भगवान परशुराम: ब्राह्मण समाज का गौरव - प्राकट्योत्सव धूमधाम से मनाया गया

आगरा। अखिल भारतवर्षीय ब्राह्मण महासभा एवं ब्राह्मण प्रोफेशनल एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में भगवान महर्षि परशुराम का प्राकट्योत्सव नागरी प्रचारिणी सभा के पुस्तकालय भवन में बड़े ही श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया।

कार्यक्रम का भव्य शुभारंभ प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मधु भारद्वाज, मुख्य संरक्षक उत्तर प्रदेश पं. महेश शर्मा, आनंद शंकर शर्मा, हरीशंकर शुक्ला, शीलेन्द्र कुमार शर्मा, ब्राह्मण प्रोफेशनल एसोसिएशन के सचिव डॉ. पंकज नगाइच एवं अन्य गणमान्य अतिथियों द्वारा भगवान परशुराम के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन और माल्यार्पण करके किया गया।

डॉ. शशि तिवारी ने मधुर सरस्वती वंदना प्रस्तुत की, जिसके पश्चात सभी उपस्थितजनों ने मिलकर भगवान परशुराम की सामूहिक आरती गाई। अतिथियों का स्वागत दीप्ति भार्गव ने किया।

इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए डॉ. मधु भारद्वाज ने कहा कि भगवान परशुराम ने अपने तप और पराक्रम से समाज में समानता और न्याय की स्थापना की। उनके आदर्श युगों-युगों तक मानव जाति के लिए प्रेरणास्रोत बने रहेंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि भगवान परशुराम ब्राह्मण समाज का गौरव हैं और उनका त्याग, समर्पण एवं सेवाभाव सदैव अविस्मरणीय रहेगा।

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पं. महेश शर्मा ने कहा कि भगवान परशुराम न केवल ब्राह्मण समाज बल्कि जन-जन के आराध्य हैं। उन्होंने त्रेता युग में भगवान विष्णु के अवतार के रूप में अक्षय तृतीया के पावन दिन जन्म लिया था। उन्होंने संपूर्ण ब्राह्मण समाज को एकजुट होने का महत्वपूर्ण संदेश दिया।

डॉ. पंकज नगाइच ने कहा कि भगवान परशुराम के महान गुणों को आत्मसात करके ही हम समाज में सच्ची एकजुटता ला सकते हैं। उनका पावन चरित्र हमें राष्ट्र-निर्माण के कार्यों में सक्रिय सहयोग करने की प्रेरणा देता है।

कार्यक्रम के दौरान भगवान परशुराम से संबंधित एक ज्ञानवर्धक क्विज प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया, जिसमें दीप्ति भार्गव, अरुणा रामेन्द्र, उमा शंकर मिश्रा, अनुपम, अरुण सारस्वत और अभिषेक ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और उन्हें पुरस्कृत किया गया।

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प्रसिद्ध कवि रामेन्द्र त्रिपाठी का सारगर्भित परिचय आनंद शंकर शर्मा ने दिया। उन्हें कार्यक्रम में ‘विप्र गौरव सम्मान’ से विभूषित किया गया।

अपने संबोधन में रामेन्द्र त्रिपाठी ने कहा कि भगवान परशुराम आज भी प्रासंगिक हैं। उन्होंने अपने समय में आततायी राजाओं का अंत किया था और आज भी देश आतंकवाद से पीड़ित है। हमें उनसे प्रेरणा लेकर आने वाले आतंकवादियों को समाप्त करने के लिए एकजुट होकर आगे आना चाहिए। शीलेन्द्र शर्मा ने कहा कि हर घर में भगवान परशुराम का शस्त्र (अर्थात धर्म और न्याय का प्रतीक) होना आवश्यक है।

कार्यक्रम के अंत में हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले में शहीद हुए लोगों की आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

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इस अवसर पर रामेन्द्र शर्मा, अरुण सारस्वत, अनिल कुमार शर्मा, आकांक्षा शर्मा, डॉ. आभा चतुर्वेदी, दीप्ति भार्गव, अनुपम चतुर्वेदी, सुनीता झा, किरन शर्मा, डॉ. अरुणा भार्गव, वन्दना तिवारी, शशि शर्मा, सुनयन शर्मा, कान्ति शर्मा, अभिषेक दीक्षित, अमोल शर्मा, शशांक भार्गव आदि गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. मधु भारद्वाज ने किया और धन्यवाद ज्ञापन किरण शर्मा ने प्रस्तुत किया।

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